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एजुकेयर – पांँच तत्व

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श्री सत्य साई एजुकेयर – पांँच तत्व

दृढ़ विश्वास विकसित करें कि हमें यह मनुष्य शरीर मानवीय मूल्यों को बनाए रखने के लिए उपहार स्वरूप मिला है। मनुष्य के प्रत्येक कर्म में नैतिक मूल्य अंतर्धारा के रूप में प्रवाहित होना चाहिए।
-भगवान श्री सत्य साई बाबा-दिव्य प्रवचन 22 नवंबर 1998
एजुकेयर 21वीं सदी का वेद है।

‘एजुकेयर’ शब्द का अर्थ है जो भीतर है उसे बाहर लाना। सत्य, धर्म, शांति, प्रेम और अहिंसा ये मानवीय मूल्य प्रत्येक मनुष्य में छिपे हुए हैं। ‘एजुकेयर’ का अर्थ एवं उद्देश्य उन अंतर्निहित मानवीय मूल्यों को सामने लाना है। ‘बाहर लाने’ का अर्थ है उन्हें क्रिया रूप में परिणित करना।

पूरा ब्रह्मांड पांँच तत्वों से बना है। शब्द, स्पर्श, रूप, रस और गंध इनके गुणों का प्रतिनिधित्व करते हैं। ये सभी तत्व आदि स्रोत सत-चित-आनंद स्वरूप ईश्वर से उत्पन्न हुए हैं। एजुकेयर इन पांँच तत्वों, पांँच गुणों, पांँच इंद्रियों एवं पांँच मानवीय मूल्यों के बीच का अंतर्संबंध है।

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