- Sri Sathya Sai Balvikas - https://sssbalvikas.in/hi/ -

शांति & अहिंसा

Print Friendly, PDF & Email [1]
[vc_row][vc_column el_class=”hi-Vesper”][vc_column_text el_class=”hi-Vesper”]
शांति और अहिंसा

यदि प्रेम सभी मानवीय मूल्यों की अंतर्धारा है, तो अहिंसा सभी मूल्यों की पराकाष्ठा, चरमोत्कर्ष है। एक बार जब हम ब्रह्मांड के सभी चेतन और निर्जीव घटकों में एकत्व को समझ लेते हैं, तो अज्ञान लुप्त हो जाता है तथा जागरूकता विकसित होती है। जिस सीमा तक हम अपनी अनेक इच्छाओं की पूर्ति करते हैं उस सीमा को निरंतर सीमित करके अहिंसा का अभ्यास किया जा सकता है। भोजन, ऊर्जा, समय आदि में ‘इच्छाओं का परिसीमन’ मनुष्य और प्रकृति के बीच सामंजस्य स्थापित करता है।

स्वामी, अष्ट पुष्पम की माला में प्रथम पुष्प के रूप में अहिंसा की बहुत ही सुंदर व्याख्या करते हैं। इस खंड के तहत सूचीबद्ध कहानियाँ, जैसे। 1. अच्छी जीभ व बुरी जीभ तथा 2. संतोष और शांति, इस बात को सिद्ध करती हैं कि असली शांति वाणी के माध्यम से भी अहिंसा में है।

[/vc_column_text][/vc_column][/vc_row]