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श्री सत्य साई अष्टोत्तर शत नामावली (55 – 108)

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  1. ॐ श्री साई अनंत नुत कर्तृणे नमः|

    वे जो समस्त सृष्टि का रचयिता हैं, और जिसकी स्तुति निरंतर होती है उनको मैं प्रणाम करता हूँ |

  2. ॐ श्री साई आदि पुरुषाय नमः|

    जो सनातन पुरुष हैं, अर्थात् ईश्वर जिस रूप में पृथ्वी पर पहली बार अवतरित हुए थे, उनको मेरा प्रणाम है |

  3. ॐ श्री साई आदिशक्तिने नमः|

    वे परमेश्वर जो आदिशक्ति का ही रूप हैं, उनके सम्मुख मैं अपना शीश झुकाता हूँ|

  4. ॐ श्री साई अपरूपशक्तिने नमः|

    जो अभूतपूर्व शक्तियों के स्वामी हैं, उनके सामने मैं अपना सिर झुकाता हूँ |

  5. ॐ श्री साई अव्यक्तरूपिणे नमः|

    वे जो निराकार हैं, अर्थात् जो अव्यक्त है उनको मेरा नमन है |

  6. ॐ श्री साई काम क्रोध ध्वंसिने नमः|

    जो सभी प्रकार की इच्छाओं अर्थात् कामनाओं एवं क्रोध का नाश करने वाले हैं, ऐसे प्रभु के सामने मैं नतमस्तक हूँ |

  7. ॐ श्री साई कनकांबर धारिणे नमः|

    जो सोने के समान पीत वस्त्रों को धारण करने वाला हैं, उनको मेरा नमन है |

  8. ॐ श्री साई अद्भुतचर्याय नमः |

    जिनकी लीलाएँ अनोखी है ऐसे लीलाधारी को मेरा प्रणाम है|

  9. ॐ श्री साई आपदबांधवाय नमः |

    जो आफतियों में बंधू के समान हमारा पथ प्रदर्शित करते हैं, उनको मैं प्रणाम करता हूँ |

  10. ॐ श्री साई प्रेमात्मने नमः|

    जो साक्षात् प्रेम का ही स्वरुप हैं, ऐसे भगवान को मैं नमन करता हूँ |

  11. ॐ श्री साई प्रेममूर्तये नमः|

    जो प्रभु प्रेम का ही स्वरुप हैं, मानो प्रेम ने ही स्वयं शरीर धारण कर लिया है, उनको मेरा प्रणाम है|

  12. ॐ श्री साई प्रेमप्रदाय नमः|

    जो प्रेम के दाता हैं, उनको मेरा नमन है|

  13. ॐ श्री साई प्रियाय नमः|

    जिनको सब प्यार करते हैं, ऐसे प्रभु को मेरा नमन है|

  14. ॐ श्री साई भक्तप्रियाय नमः|

    जो भक्तों को अत्यंत प्रिय हैं, ऐसे भगवान को मेरा प्रणाम है|

  15. ॐ श्री साई भक्त मंदराय नमः|

    जो भक्तों के लिये स्वर्ग के समान हैं, उनको मैं नमन करता हूँ|

  16. ॐ श्री साई भक्त्तजन हृदय विहाराय नमः|

    जो अपने भक्तों के ह्रदय में वास करता हैं, उस प्रभु को मेरा प्रणाम है|

  17. ॐ श्री साई भक्तजन ह्रदयालयाय नमः|

    भक्तों का ह्रदय ही जिनका घर है ऐसे प्रभु को प्रणाम करता हूँ|

  18. ॐ श्री साई भक्त पराधीनाय नमः|

    जो अपने भक्तों के अधीन हैं, वश में हैं, उस भगवान को मेरा नमन है|

  19. ॐ श्री साई भक्ति ज्ञान प्रदीपाय नमः|

    जो हमारे हृदय में भक्त्ति और ज्ञान के दीपक को प्रज्वलित करते हैं, उस भगवान को मैं नमन करता हूँ|

  20. ॐ श्री साई भक्त्ति ज्ञान प्रदाय नमः|

    जो भक्त्ति के उस मार्ग का प्रदर्शन करते हैं, जिस पर चलकर मनुष्य को ज्ञान प्राप्त हो जाता है, ऐसे पथ प्रदर्शक प्रभु को मैं शीश झुकाता हूँ|

  21. ॐ श्री साई सुज्ञान मार्ग दर्शकाय नमः|

    सुज्ञान की राह प्रदर्शित करने वाले प्रभु को मैं नमन करता हूँ|

  22. ॐ श्री साई ज्ञान स्वरूपाय नमः|

    जो साक्षात् ज्ञान का ही स्वरुप है उसको मेरा नमन है|

  23. ॐ श्री साई गीता बोधकाय नमः|

    वह प्रभु जो गीता के ज्ञान की शिक्षा देने वाले हैं, उनके सम्मुख मैं नतमस्तक हूँ|

  24. ॐ श्री साई ज्ञान सिद्धिदाय नमः|

    जो सभी प्रकार के ज्ञान उपलब्ध करने वाले हैं, उनको मैं नमन करता हूँ|

  25. ॐ श्री साई सुन्दर रूपाय नमः|

    जो अत्यंत सुंदर है उस प्रभु को में नमन करता हूँ|

  26. ॐ श्री साई पुण्य पुरुषाय नमः|

    जो साकार पवित्रता, शारीरिक सुन्दरता, वाणी की मधुरता एवं करुणा का सागर हैं, उस भगवान को मैं प्रणाम करता हूँ|

  27. ॐ श्री साई फल प्रदाय नमः|

    सभी कर्मो का फल प्रदाय करने वाले प्रभु मेरा नमन है|

  28. ॐ श्री साई पुरुषोत्तमाय नमः|

    जो सभी पुरुषों में सर्वोत्तम हैं, सबसे महान हैं, उनके सम्मुख मैं नतमस्तक हूँ|

  29. ॐ श्री साई पुराणपुरुषाय नमः|

    जो सर्वोच्च एवं सनातन हैं, उस महान पुरुष को मैं नमन करता हूँ |

  30. ॐ श्री साई अतीताय नमः|

    जो समे की सीमा से परे हैं, उनको मेरा प्रणाम है

  31. ॐ श्री साई कालातीताय नमः|

    जो तीनों कालों के बाहर हैं, उनको मेरा प्रणाम है

  32. ॐ श्री साई सिद्धिरूपाय नमः|

    जो सभी प्रकार की सिद्धियों का स्वरुप हैं, उनको मेरा प्रणाम है|

  33. ॐ श्री साई सिद्ध संकल्पाय नमः|

    जिसका संकल्प दृढ़ होते हैं, उनको मेरा नमन है|

  34. ॐ श्री साई आरोग्य प्रदाय नमः|

    जो स्वास्थ्य का दाता हैं, उनको मैं नमस्कार करता हूँ |

  35. ॐ श्री साई अन्नवस्त्रदाय नमः|

    जो हमें भोजन एवं वस्त्र देते हैं, अर्थात् हमारी सभी आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं, उनको मेरा प्रणाम है |

  36. ॐ श्री साई संसार दुःख क्षय कराय नमः|

    जो इस संसार के दुःखों का नाश करने वाले है उनको मैं नमन करता हूँ|

  37. ॐ श्री साई सर्वाभिष्टप्रदाय नमः|

    जो हमारी समस्त इच्छित वास्तुओं को देने वाले हैं, उनको को मेरा नमन है |

  38. ॐ श्री साई कल्याण गुणाय नमः|

    जिसके गुण कल्याणकारी हैं, उनको मेरा प्रणाम है|

  39. ॐ श्री साई कर्मध्वंसिने नमः|

    जो कर्मों के बंधन को काटने वाला हैं, उनको मेरा प्रणाम है|

  40. ॐ श्री साई साधुमानस शोभिताय नमः|

    जो सज्जन मनुष्यों के हृदय में दीप्तिमान हैं, शोभायमान हैं उनको मेरा प्रणाम करता हूँ|

  41. ॐ श्री साई सर्वमत सम्मताय नमः|

    जो सभी धर्मों को स्वीकार करने वाले हैं, उनको मेरा प्रणाम है|

  42. ॐ श्री साई साधूमनास परिशोधकाय नमः|

    जो सज्जन मनुष्यों के मन को पवित्र और शुद्ध बनाते हैं, उनको मैं नमस्कार करते हूँ|

  43. ॐ श्री साई साधकानुगृह वटवृक्ष प्रतिष्ठापकाय नमः|

    जिन्होने साधकों के मन मैं वरदान स्वरुप वटवृक्ष को स्थापित किया है, उनको मेरा प्रणाम है|

  44. ॐ श्री साई सकल संशय हराय नमः|

    जो सभी संदेहों को निवर्तित करते हैं, उनको मैं प्रणाम है|

  45. ॐ श्री साई सकल तत्त्व बोधकाय नमः|

    जो समस्त ज्ञान का उपदेश देते हैं, उनको मैं सिर झुकाता हूँ|

  46. ॐ श्री साई योगीश्वराय नमः|

    जो सभी योगियों का स्वामी है उनके सामने मैं नतमस्तक हूँ |

  47. ॐ श्री साई योगिन्द्रवन्दिताय नमः|

    जिस प्रभु की सभी योगी, ऋषि, मुनि वन्दना करते हैं, मैं भी उनको शीश झुकाता हूँ|

  48. ॐ श्री साई सर्व मंगल कराय नमः|

    जो सभी प्रकार के मंगलकारी हैं, उनको मेरा प्रणाम है |

  49. ॐ श्री साई सर्व सिद्धिप्रदाय नमः|

    जो समस्त सिद्धियों को देनेवाले हैं, उनको मैं नमन करता हूँ |

  50. ॐ श्री साई आपन्निवारिणे नमः|

    जो आफतों से हमारी रक्षा करते हैं, उनको मेरा प्रणाम है|

  51. ॐ श्री साई आर्तिहराया नमः|

    जो हमारे शारीरिक एवं मानसिक दुःखों को दूर करते हैं, उनको मेरा प्रणाम है |

  52. ॐ श्री साई शांत मूर्तये नमः|

    जो शांति का स्वरुप हैं (शांति ने ही स्वयं शरीर धारण कर लिया है – ऐसा मालूम होता है) उनको मेरा प्रणाम है|

  53. ॐ श्री साई सुलभ प्रसन्नाय नमः|

    जो बहुत ही शीघ्र एवं सहज ही प्रसन्न होने वाले हैं, उनको मेरा प्रणाम है|

  54. ॐ श्री साई भगवान श्री सत्य साई बाबय नमः|

    मैं, सब के स्वामी भगवान श्री सत्य साई बाबा को समस्कार करता हूँ |

BHAGAVAN – Who possesses the 6 excellences in full:

He who knows the origin and consummation of every being – their comings and goings Therefore the Garland of 108 Precious Gems concludes with this confirmation and this affirmation.

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