- Sri Sathya Sai Balvikas - https://sssbalvikas.in/hi/ -

होली

Print Friendly, PDF & Email [1]
[vc_row][vc_column el_class=”hi-Vesper”][vc_column_text el_class=”hi-Vesper”]

होली, फाल्गुन (मार्च-अप्रैल) के महीने में पूर्णिमा से पहले वसंत ऋतु के आगमन पर मनाया जाने वाला त्योहार है। होली को बुराई पर अच्छाई की जीत के पर्व के रूप में मनाया जाता है। भारत के विभिन्न हिस्सों में इसके अलग-अलग पौराणिक अर्थ हैं। सबसे लोकप्रिय कथा,भारत में एक प्राचीन दानव राजा से संबंधित है जिसे हिरण्यकशिप के नाम से जाना जाता है। उसने अपनी बहन होलिका को अपने पुत्र प्रह्लाद को मारने के लिए भेजा, जो भगवान विष्णु के प्रति अत्यधिक समर्पित था, जिसे हिरण्यकश्यप ने तिरस्कृत किया था। होलिका को वरदान था कि वह आग में नहीं जलेगी। उसने आग में बैठकर प्रह्लाद को मारने की कोशिश की। हालाँकि, भगवान विष्णु की कृपा से, प्रह्लाद सकुशल बच गया, लेकिन होलिका जलकर मर गई। आज भी प्रह्लाद के बचने और दुष्ट होलिका के जलने की याद में होली की रात को अलाव जलाए जाते हैं। अगले दिन लोग एक-दूसरे को रंग लगाकर खुशियांँ मनाते हैं। यह प्यार, दोस्ती और सद्भावना का प्रतीक है।

इस खंड में खेल, कला और शिल्प के विचार और त्योहार से संबंधित कहानियांँ शामिल हैं जिन्हें कक्षा में संचालित किया जा सकता है।

[/vc_column_text][/vc_column][/vc_row]