श्लोक
- प्राणायामं प्रत्याहारम्,
- नित्यानित्य विवेक विचारम्।
- जाप्यसमेत समाधि विधानं,
- कुर्ववधानं महदवधानम्
भावार्थ
प्राणायाम (जीवन शक्ति) वह साधना व अभ्यास है जिससे तुम प्राणवायु पर संयम करते हो। प्रत्याहार में इंद्रियों के द्वारा मन पर संयम किया जाता है। क्या सत्य है और क्या असत्य है इसे जानने का प्रयत्न करो। जप और ध्यान के द्वारा शारीरिक व मानसिक चेतना को परम चेतना में मिलाने के लिए सदैव अथक प्रयत्न करते रहो।
[/vc_column_text][/vc_column][vc_column width=”1/2″][vc_custom_heading text=” “][vc_video link=” ” el_width=”10″][vc_single_image image=”55616″ img_size=”full” style=”vc_box_shadow_3d”][/vc_column][/vc_row][vc_row css_animation=”fadeIn” el_class=”tab-design”][vc_column][vc_custom_heading text=”व्याख्या” font_container=”tag:h5|font_size:16px|text_align:left|color:%23d97d3e” google_fonts=”font_family:Muli%3A300%2C300italic%2Cregular%2Citalic|font_style:300%20light%20regular%3A300%3Anormal” el_class=”hi-sumana”][vc_column_text css=”.vc_custom_1637161017335{margin-top: 15px !important;}” el_class=”hi-sumana”]प्राणायामम् | श्वास पर नियंत्रण |
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प्रत्याहारम् | इन्द्रियों को अंतर्मुखी करना |
नित्य | हमेशा, प्रतिदिन |
अनित्य | अनिश्चित, क्षणिक |
विवेक | सही समझ |
विचारम् | सोचना |
जाप्यसमेत | भगवान के नामों के जप सहित |
समाधिविधानम् | समाधि की अवस्था में |
कुर्ववधानम् | ध्यानपूर्वक करो |
महदवधानम् | अत्यधिक ध्यानपूर्वक |