श्लोकाचे बोल
- करचरणकृतं वाक् कायजं कर्मजं वा
- श्रवणनयनजं वा मानसं वाऽपराधम्
- विहितमविहितं वा सर्वमेतत् क्षमस्व
- जय जय करूणाब्धे श्री महादेव शंभो
अर्थ
हे प्रभो, कळत नकळत कमेंद्रियांकडून (कर्मेंद्रिये – हात, पाय बोलणं इत्यादी), ज्ञानेंद्रियांकडून (ज्ञानेंद्रिये – कान, डोळे) किंवा मनाकडून घडलेल्या अपराधाबद्दल मला क्षमा कर. हे करूणेचा सागर असलेल्या देवा, तुझा जयजयकार असो.
[/vc_column_text][/vc_column][vc_column width=”1/2″][vc_custom_heading text=”व्हिडिओ” font_container=”tag:h5|text_align:left|color:%23d97d3e” use_theme_fonts=”yes” el_class=”mr-yantramanav” css=”.vc_custom_1648029984458{margin-top: 0px !important;}”][vc_column_text el_class=”video-sty”][/vc_column_text][/vc_column][/vc_row][vc_row css_animation=”fadeIn” el_class=”tab-design”][vc_column][vc_empty_space][vc_custom_heading text=”स्पष्टीकरण” font_container=”tag:h5|font_size:16px|text_align:left|color:%23d97d3e” google_fonts=”font_family:Muli%3A300%2C300italic%2Cregular%2Citalic|font_style:300%20light%20regular%3A300%3Anormal” el_class=”mr-yantramanav”][vc_column_text css=”.vc_custom_1648030035138{margin-top: 15px !important;}” el_class=”mr-yantramanav”]कर | हात (काही तरी कृती करण्याची क्रिया कोण करते) |
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चरण | पाय (चालण्याची क्रिया कोण करते) |
कृतं | क्रिया कोणी केली |
वाक् | वाचा, वाणीची शक्ती |
कायजं | शरीर, शारीरिक क्रिया |
कर्मजं | सर्व कामांचा परिणाम |
वा | किंवा, आणि, सुद्धा |
श्रवण | कानाने ऐकण्याची क्रिया |
नयनजं | पाहण्यामुळे उत्पन्न होणारे |
मानसं | मनामुळे निर्माण होणारे |
अपराधं | गुन्हा, दुष्कृत्य |
विहितं | चांगले, योग्य कार्य/ क्रिया |
अविहितं | अयोग्य वा पीडादायक (निषिध्द) कार्य |
सर्वम | सगळे |
एतत् | या |
क्षमस्व | (तू) क्षमा कर. (ह्या सगळ्याबद्दल तू क्षमा कर.) |
जय | विजय असो |
करूणाब्धे | करूणेचा सागर |
श्री महादेव | महान् (सर्वशक्तिमान असा प्रभू) |
शंभो | जो कल्याणकारी होतो (असतो) तो |