ध्वनि – श्वास
ध्वनि – श्वास
सुनो, मेरे प्यारे बच्चों!
अपनी आंँखें बंद करें और गहरी सांँस अंदर-बाहर लें। इस बात पर ध्यान दें कि आपकी सांँसें कैसी महसूस हो रही हैं। जब आप शांत होते हैं, तो आपकी सांँस धीरे-धीरे और शांतिपूर्ण निकलती है। जब आप क्रोधित या असहज होते हैं, तो आपकी सांँसें तेज़ और तीव्र महसूस हो सकती हैं।
श्वास की गति का ख्याल रखना महत्वपूर्ण है जब तक हम सांँस लेते हैं तब तक हम इस दुनिया में रहते हैं। हमें अपनी सांँसों के माध्यम से जीवन देने के लिए ईश्वर का आभारी होना चाहिए। सांँस और विचारों से ही हम शिवम, यानी परमात्मा हैं। सांँस की ध्वनि के बिना हम शवम यानी शव हैं। क्या आप जानते हैं कि हम प्रतिदिन लगभग 21,600 बार सांँस लेते और छोड़ते हैं?
दुनिया में बहुत सारे लोग हैं, लेकिन हम सभी की सांँसें एक जैसी हैं।
हमें यह सांँस देने के लिए भगवान का आभारी होना चाहिए, तथा इसका उपयोग हमें अपने विचारों, शब्दों और कार्यों में भगवान के प्रति अच्छा और कृतज्ञ होने के लिए करना चाहिए। अब, बस अपनी सांँसों पर ध्यान केंद्रित करें और धीरे-धीरे अपना ध्यान वर्तमान क्षण पर वापस लाएंँ।
प्रश्न:
- हम दिन भर में कितनी बार सांँस लेते और छोड़ते हैं?
- जब तुम दौड़ते हो, उछल-कूद करते हो, व्यायाम करते हो तब कैसे साँस लेते हो और शांत बैठते हो तब कैसे साँस लेते हो?