सुंदर हाथ – कहानी

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सुंदर हाथ – कहानी

कठिन परिश्रम एवं ईमानदारी से काम करने से, हम सही तरीके से धन कमा सकते हैं। इसके लिए हमें सभी उंगलियों के सुझावों को एक साथ लाना होता है और उनके सहयोग से हम अच्छा काम करते हैं और पैसा कमाते हैं। इसलिए, यह मान्यता हैं कि धन की देवी लक्ष्मी, उंगलियों की पोर पर निवास करती हैं, जो हमें अच्छे कर्म करने और सही तरीके से धन कमाने के लिए प्रेरित करती हैं।

ज्ञान अर्जित करने के लिए हमें पुस्तक को अपनी हथेली में पकड़ना होता है और हथेली की सहायता से पढ़ना या लिखना होता है। इसलिए हम कहते हैं कि ज्ञान, बुद्धि या विद्या की देवी सरस्वती हथेली के केंद्र में निवास करती हैं जो हमें पुस्तक को अपने हाथ में रखने और पूरी एकाग्रता के साथ अध्ययन करने और ज्ञान प्राप्त करने में मदद करती है। अन्य लोगों, जानवरों या जीवों जैसे सांँप आदि के हमले से खुद को बचाने में हथेली के आधार की गति हमारे लिए बहुत मददगार है। इसलिए हम कहते हैं कि भगवान गोविंद या भगवान विष्णु जो दुनिया की रक्षा और पालन-पोषण करते हैं, वे हमारे हाथों के जोड़ में निवास करते हैं। हथेलियांँ दूसरों के हमले से खुद को बचाने में हमारी मदद करती हैं और हमारे सभी धार्मिक उपक्रमों और प्रयासों में हमें प्रेरित करती हैं, मार्गदर्शन करती हैं।

कहानी:

Angel to look for pretty hands

एक समय परमेश्वर ने एक देवदूत को सबसे सुन्दर हाथ खोजने के लिए पृथ्वी पर भेजा। उन्होंने देवदूत से कहा- “पृथ्वी पर जाओ तथा सबसे सुन्दर हाथ वाले व्यक्ति को मेरे पास लाओ।”

देवदूत मध्यरात्रि के समय पृथ्वी पर आये। उन्होंने सोचा कि इस समय सभी लोग गहरी नींद में सोये होंगे,अतः कार्य सरल हो जाएगा, क्योंकि उनके हाथों को बिलकुल पास से भली-भांति देखा जा सकेगा। देवदूत सर्वप्रथम राजमहल में गये, रानी के हाथों के अतिरिक्त सुन्दर हाथ किसके हो सकते हैं? ऐसा उनका विचार था, यह भी सोचा कि रानी के हाथों में भिन्न प्रकार के लेप लगाकर भली-भांति देख-रेख होती होगी और वे आभूषणों से सज्जित होंगे।

Angel upset unable to find

जब वह रानी के महल में प्रविष्ट हुए, तो वहाँ उन्हें विचित्र सी दुर्गन्ध का आभास हुआ। उन्होंने सोचा कि यह दुर्गन्ध रानी के द्वारा किए गये दुष्कर्मों के कारण उत्पन्न है। यहीं स्थिति राजा के हाथों की भी थी। तत्पश्चात देवदूत सरदारों, व्यापारियों, श्रेष्ठ व्यक्तियों के यहाँ गये, यह सोचकर कि इन लोगों के हाथ से कुछ सत्कर्म हुए होंगे जिसके परिणामस्वरूप वे सुन्दर होंगे। किंतु घोर निराशा ही उनके हाथ लगी। फिर उन्होंने अपना रुख मठ की ओर किया। वह यह सोचकर प्रसन्न हो रहे थे कि, मठ के भिक्षुओं के हाथ अवश्य सुन्दर होंगे किंतु वहाँ भी उन्हें निराशा हुई। उन्हें पता चला कि उन्होंने पुरोहित के चोले तो ओढ़े हुए हैं, लेकिन उनके हाथों ने भी अनेक दुष्कृत्य किये थे। वे अहंकारी भी थे।

Angel got fragrant from farmer

देवदूत का मन अत्यंत खिन्न हो गया। उदास मन से वह एक बड़े खेत में जा पहुंँचा और वहाँ एक वृक्ष के नीचे बैठ इस चिंता में निमग्न था कि भगवान द्वारा सौँपे कार्य को पूरा न कर सकने के कारण वह उन्हें अपना मुख कैसे दिखाएंगे? अचानक उन्हें मधुर सुगन्ध का झोंका आता प्रतीत हुआ। उन्होंने सब ओर देखा किंतु उन्हें कहीं भी फूलों से लदी डाली या सुगंधित वनस्पति नहीं दिखाई दी। फिर यह मधुर सुगन्ध कहाँ से आ रही है? सर्वत्र व्याप्त अन्धकार में देवदूत ने सब तरफ खोज की। उन्हें कुछ दूरी पर एक खेत में मचान पर एक किसान सोता हुआ दिखा।

देवदूत उसके पास गया और देखा कि, उस किसान के मोटे, खुरदुरे, काले हाथ तेज प्रकाश से प्रकाशवान थे। उस किसान के चेहरे की ओर देखा, उन्हें वह चेहरा प्रभापूर्ण तथा धूप में तपा हुआ दिखाई दिया। किसान गहरी नींद में था और उसके हथेलियोँ से सुगन्ध आ रही थी तथा वातावरण शीतल और प्रसन्नतादायक था।

Angel takes farmer to god

देवदूत उस किसान को परमेश्वर के पास ले गया, किंतु वह बहुत आश्चर्य चकित था। उसने परमेश्वर से पूछा- “किसान के हाथ रानी की अपेक्षा सुन्दर क्यों हैं?” देवदूत के उपर्युक्त प्रश्न से परमेश्वर संतुष्ट हुए।उन्होंने देवदूत को समझाकर कहा कि – वह किसान काम करने के लिए बलिष्ठ हाथ पाकर परमेश्वर का आभारी था, उसे यही ज्ञात था कि हाथ केवल साधन मात्र हैं, और परमेश्वर द्वारा दिये गये उस साधन का उपयोग ज्ञान प्राप्त करने और प्राप्त ज्ञान को दूसरों में बाँटने के लिए किया जाना चाहिए। उसने उन हाथों का उपयोग खेतों में काम करने, धान पैदा करने तथा देश को समृद्ध बनाने के लिए किया। जरूरतमंदों को दान देने के लिए ही उसने उन हाथों का उपयोग किया। लोगों के घावों तथा दुःखों को उसने अपने हाथों से दूर किया। उसने जो सिद्धि प्राप्त की, उसका उसे जरा भी घमंड नहीं था, किंतु यह परमेश्वर के समक्ष सदा हाथ जोड़े रहता था। इस प्रकार किसान ने अपने प्रयत्नों से ज्ञान, सम्पत्ति तथा समृद्धि प्राप्त की और इन सत्कार्यों के कारण वह परमेश्वर के पास पहुंँच गया तथा उन में विलीन हो गया। इस प्रकार वह किसान देवस्वरूप बन गया।

[Illustrations by Dhanusri, Sri Sathya Sai Balvikas Student]
[Source: Gurus Handbook – Group I First Year]

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