बालक और भालू
बालक और भालू
एक बार एक नदी के किनारे, बच्चों का एक समूह अपनी गायों को चरा रहा था। यह मानसून का मौसम था और अचानक, पानी की धारा उफान पर आ गयी। तेज धारा होने के कारण एक भालू, पानी में फिसलकर नदी के बीचोंबीच बह रहा था। लड़कों में से एक ने तैरते हुए द्रव्यमान को देखा और दूर से उसे पानी में तैरते कंबलों का गुच्छा प्रतीत हुआ। उसने अपने साथियों से कहा, “मैं पानी में कूद कर कम्बलों की गठरी निकाल लूँगा।” और वह पानी में कूद गया।
इस भ्रम के कारण कि यह कंबल का एक बंडल है, बालक ने अपने हाथों से भालू को गले लगा लिया। फिर भालू ने भी उसे अपने हाथों से गले लगा लिया। लड़के ने बहुत प्रयास किया किंतु भालू ने उसे नहीं छोड़ा। वह कस कर उसे पकड़ा रहा। किनारे के लड़के चिल्लाए, “ओह! मेरे प्यारे साथी, गठरी छोड़ो और चले जाओ।” पानी में डूबा लड़का, बचने के लिए संघर्ष कर रहा था, चिल्लाया, “हालाँकि मैं इससे बचना चाहता हूँ, लेकिन यह मुझे बचने नहीं देता।”
प्रश्न
- लड़के ने नदी पर क्या देखा?
- उसने क्या किया?
- उसके साथियों ने क्या सलाह दी?
- लड़के को क्या हुआ?