स्वरूप ध्यान

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स्वरूप ध्यान

हम अभय हस्त की मुद्रा में खड़े हमारे प्यारे भगवान श्री सत्यसाई बाबा पर ध्यान करें। हमारे प्यारे प्रभु के सिर के मुलायम केश और मुख मंडल के तेजस पर ध्यान कीजिये। कल्पना कीजिये, पूर्ण चाँद की तरह चमकता उनका चेहरा और नीले बादलों की छटा समान गहरे घुंघराले बाल| उन अद्वितीय आकर्षक सितारों की तरह आँखों की नज़र हमारे दिल को छू जाती है। वह हमें एक करुणामयी मुस्कान के साथ पुकार रहे हैं। अब उनके कंधों पर ध्यान केन्द्रित करें; कंधे जो पूरी दुनिया के बोझ को सहन कर रहे हैं, कंधे जो ढाल बन कर उनके भक्तों पर आने वाले सभी बुराइयों से उनका संरक्षण करते हैं|

अपना दाहिना बांह हमें आशीर्वाद देने के लिए उठाये हैं और अभय मुद्रा में हैं, “अभय”, का अर्थ है डरो नहीं| हमारे प्रभु कहते हैं, “मेरे होते तुम चिंतित न हो|” हाँ, वह हमेशा हमें प्रेरित करने के लिए और हमारी रक्षा के लिए सदैव हमारे साथ हैं। “वह सब के शरणदाता हैं, दया का असीम सागर हैं|”

ध्यान से सुनिए, अपने कानों में बाबा की मीठी मार्गदर्शक आवाज सुन सकते हैं। वह कह रहे हैं, “बुराई से बचो, अच्छे कर्म करो और सही रस्ते पर चलो।” सत्य, प्रेम, सभी प्राणिओं के प्रति अहिंसा, सहनशीलता, धीरज और धैर्य जैसे दिव्य गुण शांति, खुशी और शुभता की स्थापना करते हैं|

उनके दिव्य चरणों को दृढ़ता से थामें। अब हम नत मस्तक हो कर उनके चरण कमलों में यह प्रार्थना अर्पित करते हैं, “हे पूरे ब्रह्मांड के भगवान, हमें शक्ति प्रदान करें कि हमारे हाथ सदैव आपके पावन चरण की सेवा में कार्यरत रह। हमारे दिल और दिमाग, जो आपको समर्पित हैं उसमे सांसारिक कुविचारों के लिए कोई जगह न हो, हमारी दृष्टि हमेशा आपके चरण कमलों पर ही टिकी रहे|
“हे भगवान! कृपया हमारे दिलों में वास कर, हमारे अंतर्मन को पवित्र कीजिये। आपके अनुग्रह से जो भी मैं देखूँ, बोलूँ, सुनूँ और करूँ वह आपके सत्यं, शिवं, सुन्दरं का ही प्रतिरूप हो।

  • हे भगवान, हमारे मन और विचारों में आप वास करें,
  • हे भगवान, हमारी आँखों और नज़रों में आप की छबि हो,
  • हे भगवान, हमारे कानों में और श्रवण में आपकी ध्वनि गूंजे,
  • हे भगवान, हमारे कंठ में और बातों में आपके शब्द हों,
  • हे भगवान, हमारे दिल में और उस में उत्पन हुई मनोकामनाओं में आपकी आकांक्षा हो,
  • हे भगवान, हमारे शरीर और कर्म आपके प्रतिबिम्ब हों,

हम जो आपके अंश हैं, सच्चे और पावन बनाओ ताकि हम सभी में आपको देख सकें। फिर पूरी दुनिया ही, आपकी महिमा से परिपूर्ण होगी तो आपसी भेद-भाव की कोई गुंजाइश नहीं रहेगी| न हमे किसी से ईर्ष्या होगी न कोई हम से वैर करेगा, क्योंकि वे अब खुद में और सभी में उस परम पिता परमेश्वर की उपस्थिति का एहसास करेंगे और एकत्र की भावना में लीन हो जाएँगे| आप हमारी पहचान हो प्रभु, और हम आपकी परछाई ।

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