चूड़ियों द्वारा निर्मित दीपक-धारक
स्वामी ने कहा है कि सभी त्यौहारों के आंतरिक महत्व को समझना बहुत महत्वपूर्ण है। त्यौहारों के दौरान, लोग सुबह जल्दी स्नान करते हैं, नए कपड़े पहनते हैं और अपने घरों और आस-पास स्वच्छता रखते हैं। वेद “अन्तर्बहिश्च तत्सर्वं व्याप्य नारायणस्थितः” की घोषणा करते हैं, जिसका अर्थ है कि ईश्वर हमारे भीतर, बाहर और सर्वत्र मौजूद हैं। इस प्रकार आंतरिक और बाह्य दोनों रूप से शुद्ध होना आवश्यक है। जैसे पानी हमारे शरीर को साफ रखने में मदद करता है, वैसे ही प्रेम हमारे दिल को साफ रखता है। इस प्रकार त्यौहारों के आंतरिक महत्व को समझना, उत्सव को और अधिक सार्थक बनाता है।
जैसा कि हम सभी जानते हैं, दीपावली रोशनी का त्यौहार है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। जब नरकासुर, पौराणिक असुर मारा गया, तो लोग बहुत खुश हुए और इस अवसर पर दीप जलाकर जश्न मनाया। दीपावली शब्द का अर्थ है “दीपों की अवलि यानि पंक्ति”।
इस दीपावली पर हम पुरानी चूड़ियों का उपयोग करके एक दीपक- धारक बनाएंगे। बेकार चीजों से उत्तम वस्तुओं की निर्माण की यह शिल्प कला, दीपावली समारोह को निश्चित रूप से आनंद से भर देगी।
गतिविधि में निहित मूल्य:
- धीरज
- रचनात्मकता
- बेकार / पुराने सामान से कलाकृति बनाना
- आसपास का वातावरण स्वच्छ रखना।
आवश्यक सामग्री:
- पुरानी चूड़ियाँ
- गरम चाय का बर्तन आदि रखने की गोल टिकली
- गोंद
- दिये या मोमबत्तियाँ
गतिविधि :
- अपने संग्रह से पुरानी चूड़ियाँ चुनें।
- चूड़ियाँ इस प्रकार चुनें जो आसानी से प्रकाश को प्रतिबिंबित करती हों और उन पर की गयी डिजाइन जटिल हो।
- एक छोटा बुर्ज (टावर) बनाने के लिए, एक साथ 6 से 8 चूड़ियों को गोंद लगाएं और एक के ऊपर एक रखें। चूड़ियाँ दीए की लौ को पूरी तरह से ढँक देंगी।
- एक गरम चाय का बर्तन आदि रखने की गोल टिकली पर पूरे बुर्ज (टावर) को गोंद से चिपका दें। इसमें एक दिया रखें और लौ को फैलाने वाली हवा के बारे में चिंता न करें। दीए से उत्पन्न गर्मी को गोल टिकली अवशोषित करेगा।
- एक सुंदर चूड़ी दीपक-धारक तैयार है।