निर्देशित दृश्यावलोकन ध्यान विधि
युवावस्था में अपनी इंद्रियों पर नियंत्रण करना अति आवश्यक है, जिससे एकाग्रता को विकसित कर सकें। विचार यात्रा या मानसिक दृश्यावलोकन एक कारगर उपाय है समूह प्रथम के बच्चों के लिए। गुरू जब ईश्वर के किसी रूप को बच्चों के समक्ष सुंदर एवं भावपूर्ण तरह से चित्रित करते हैं, तो वह उनके कोमल मन में सदा के लिए अंकित हो जाता है।
विचार यात्रा – एक उदाहरण
साईराम प्यारे बच्चों! आओ मैं आपको स्वामी के प्यारे से रूप के दर्शन करवाऊँ।
सभी इस चित्र को एकाग्रचित्त होकर देखो।
बच्चों, धीरे से अपनी आँखें बंद करो, अपने हाथ दूसरों को न छूते हुए सामने की ओर फैलाओ।
अपने हाथ अब चिन्नमुद्रा में अपने उरु पर रखो। पीठ सीधी रखो।
गहरी साँस भरो, अपने अंदर से सारे विचार निकल दो फिर एक गहरी साँस भरो।
अब धीरे-धीरे स्वयं को कुलवंत हॉल में बैठा हुआ महसूस करो, स्वामी के दिव्य दर्शन के लिए ।
देखो धीरे-धीरे स्वामी तुम्हारे समक्ष आ रहे हैं, उनके मुखमंडल पर दिव्य प्रेम और उज्ज्वलता झलक रही है। उनके काले घने बालों की आभा उनके चेहरे के चारों ओर छायी हुई है। उनके तेजस्वी नेत्र अब तुम्हारी ओर देख रहे हैं।
अब वो आपकी तरफ एकटक देख रहे हैं चाहे एक पल के लिए ही सही, ऐसा महसूस हुआ जैसे कितनी देर से वो गहरी दृष्टि से आपको देख रहे हैं।
उन्होंने आप को देखकर एक प्यारी सी मुस्कान दी और आप खुशी से भर गए। वो प्रेम के अवतार हैं,प्रेम जो दो पाँव पर चल कर हमारे समक्ष है।
उनके गेरुआ वस्त्र हवा में हल्के लहरा रहे हैं, जिनमें से स्वामी के कोमल चरण थोड़े-थोड़े दिख रहे हैं।
हम सब भगवान श्री सत्य साई बाबा के दर्शन से कृतार्थ हो रहे हैं।
अब हम एक छोटी सी प्रार्थना उनके चरणों में,सम्पूर्ण भक्ति और विश्वास द्वारा समर्पित करेंगे-
हे भगवान! मैं प्रार्थना करता हूँ कि मेरे माता पिता, गुरू, मेरे रिश्तेदार, मित्र, सब अच्छे स्वास्थ्य को प्राप्त करें।
हे प्रभु! मुझे अपने अध्ययन में पूर्ण एकाग्रता प्रदान करें।
हे प्रभु! मैं आपके कोमल श्रीचरणों का सदा ध्यान करूँ – समस्त लोकः सुखिनो भवन्तु।
अब धीरे से अपनी आँखें खोलो।
कुछ प्रश्न जो गुरू, बच्चों से विचार यात्रा के पश्चात् पूछ सकते हैं।
- स्वामी कैसे दिख रहे थे?
- आपको यह अनुभव कैसा लगा?