गायत्री – वेदों की जननी
गायत्री सब वेदों की माता है। जहाँ गायत्री मन्त्र का जप होता है वहांँ गायत्री रहती है। वह बहुत शक्तिशाली और प्रभावपूर्ण है। गायत्री माता प्रत्येक व्यक्ति का पोषण करनेवाली है। जो कोई भी उनकी पूजा करता है, वह उनके विचारों को पावन करती हैं। वह तो सभी देवताओं का साकार रूप हैं। हमारी साँस में गायत्री है, हमारा आत्मा विश्वास माता गायत्री है। गायत्री के पाँच मुख हैं, जो जीवन के पाँच तत्व हैं। उनका वर्णन है – ‘ॐ, भूर्, भुवः, स्वः, तत्, सवितुर, वरेण्यम, भर्गो, देवस्य’। माता गायत्री सबकी रक्षा करती है। वह हमारी इन्द्रियों को सही मार्ग दिखाती है। ‘धीमहि’ अर्थात् ध्यान रखना। हमें अच्छी बुद्धिमता के लिए वे प्रेरित करती हैं। ‘धियो योनः प्रचोदयात’ – हमें जो चाहिए उसे प्रदान करने के लिए उससे प्रार्थना करें। इस तरह गायत्री मंत्र ही संपूर्ण प्रार्थना है – जिससे हमारी रक्षा, पोषण और अन्त में मुक्ति मिलती है।