लिखित जप
“लिखित जप” एक प्रकार की आध्यात्मिक साधना का अभ्यास है, जिसमें साधक ईश्वर का नाम लिखने में संयुक्त होता हैं। संस्कृत में ‘लिखित’ का अर्थ है ‘लिखना’ और ‘जप’ का अर्थ है प्रभु का नाम बार बार लेना। अर्थात् जब हम ईश्वर का नाम बार बार लिखते हैं, उसे “लिखित जप” कहते हैं।
कैसे करेंगे लिखित जप?
अपने दैनंदिन कार्य में से कुछ समय निकाल कर एक शांत वातावरण में घर के देवालय में बैठ जाएँ। आँख बंद कर शांतचित्त होकर गहरी साँस लेते हुए ईश्वर का स्मरण करें। फिर आँख खोलकर उनके दिव्य नाम लिखना प्रारंभ करें। उदाहरण के तौर पर राम राम राम, ओम श्री साई राम, श्री कृष्णा आदि। लिखते वक्त उन ईश्वर के रूप को अपने समक्ष गोचर करें, और सस्वर नाम बोलते जाएँ। इससे साधक का मन, वाक और क्रिया शुद्ध होकर विचार, शब्द और कर्म शुद्ध होते जाएँगे। किसी भी प्रकार की आध्यात्मिक साधना जैसे लिखित जप को पूरे दिल से, पवित्र भाव से, करना चाहिए तभी वह सम्पूर्ण फल प्रदान करता है।
स्वामी ने आगे विशेष जोर देकर कहा,”आजकल लोग नाम लिखते हैं पर सस्वर नाम को नहीं बोलते,अपने मन में बोलते हैं। जब पहला नाम लिखते हो,पहले उस नाम के रूप को मन में धारण करो, फिर मुँह से बोलो, फिर हाथ को वही नाम लिखने दो। इस तरह लिखित जप से ईश्वर नाम की साधना होती है|”
-सनातन सारथी अगस्त 1995