दूसरों को समझो! अच्छा महसूस करो!
शिक्षक अभ्यास को धीरे-धीरे पढ़ते हैं, बिन्दुओं पर रुकते हैं …
पार्श्व में मधुर संगीत बजाएंँ।
यदि जगह हो, तो बच्चों को एक घेरे में शांति से लेटने दें और पैरों को बीच में रखें। यदि नहीं, तो उनसे कहें कि अपनी कुर्सियों पर आराम से बैठ जाएंँ। सुनिश्चित करें कि बच्चों की पीठ सीधी है और सिर सीधा है।
बच्चों, गहरी सांँस लें और सांंस छोड़ते हुए आराम करें।
अपनी आंँखें बंद करें, या यदि आप इससे असहज महसूस करते हैं, तो नीचे फर्श पर देखें।
एक और गहरी सांँस लें … और दूसरी …।
कमरे की आवाजें सुनें …
कमरे के बाहर सुनाई देने वाली कोई भी आवाज़ सुनें …
सोचो, मैं कैसे खुश रह सकता हूँ और खुद को और दूसरों से प्यार कैसे कर सकता हूँ? …
जब आप मेरी छोटी सी घंटी की खनखनाहट सुनें, तो धीरे-धीरे अपनी आंँखें खोलें, अपने बगल में बैठे व्यक्ति को देखें और मुस्कुराएंँ।
[संदर्भ: मानव मूल्यों में सत्य साई शिक्षा, कैरोल एल्डरमैन द्वारा चरित्र और भावनात्मक साक्षरता के विकास के लिए एक पाठ्यक्रम]