प्रभु का प्रेम
इस श्लोक के संदर्भ में हम बच्चों को, उनके प्रति माता-पिता के हृदय में स्थापित प्रेम अथवा वात्सल्य से संबंधित कई वीडियो दिखा सकते हैं। कुछ लिंक के नमूने नीचे दिए गए हैं।
जानवरों के, अपने बच्चों का पालन-पोषण और वात्सल्य प्रेम से भरे वीडियो। कुछ जानवर अपने से शक्तिहीन जानवरों से प्यार करते हैं- ऐसे कुछ चित्र भी हैं। उदा: एक हाथी को एक कुत्ते से होनेवाला प्रेम। एक बन्दर को टेडी बियर से होनेवाला प्रेम एवं मैत्री भाव आदि।
कक्षा में इस विषय पर चर्चा हेतु प्रश्नावली –
- क्या यह आपके मनपसंद दृश्य [scenes] हैं ? यदि ‘हाँ’ कहें तो वह कौन-सा फिल्म है ? क्यों ?
- क्या, तुम ऐसा मानते हो कि तुम्हारे घरवाले ही तुम से प्यार करते हैं –ऐसा हो तो स्कूल में हम से प्रेम करनेवाले और श्रद्धा रखनेवाले कौन हैं ?
- क्या, तुम्हें खेलना पसंद है? तो खेल में प्रोत्साहन देनेवाला कौन है?
- तुम्हारे दोस्त कौन हैं? तुम उनके साथ रहना चाहते हो? क्यों?
- तुम सड़क पार करने से डरते हो? कभी तुम ने अकेले सड़क पार की है? उसी समय रास्ते में तुम्हारे पास खड़े रहनेवाले किसी ने तुम्हारी मदद की है? तुमने कभी किसीको सड़क पार करने में मदद की है?
- क्या, हम हमेशा अपने माता-पिता, भाई-बहन और दोस्त के साथ ही रह सकते हैं?
- तुमने कभी अनजान लोगों से स्नेह/मित्रता की है? तुम्हें कैसा अनुभव हुआ? वह अनुभव उनको भी कैसा लगा?
निष्कर्ष:
गुरू, बच्चों को यह समझायें कि अपने माता-पिता, अध्यापक, भाई-बहन, दोस्त, बन्धु और अपने पालतू जानवरों से जो प्रेम वे पाते हैं वह भगवत्प्रेम [ईश्वरीय प्रेम] है। उसी प्रकार हम दूसरों से जो प्यार करते है, वह भी भगवत्प्रेम है, और वही प्रेम हमारे द्वारा उनको मिलता है। इस प्रकार यह ईश्वरीय प्रेम की परस्पर श्रृंखला है। इसे भी बच्चों को समझाना है। भगवान हम सबको समान रूप से [एक-सा] प्रेम दिखाते हैं। यह निस्वार्थ प्रेम है। भगवान कभी हमारी माता के समान, कभी सखा जैसे, कभी भाई के समान हम पर प्रेम की वर्षा करते हैं।
स्मरणीय बिंदु ऊपर सूचित किया यू ट्यूब लिंक इस गतिविधि को तैयार करते समय दिखाएँ। इसी तरह हम और भी कार्यक्रम दिखा सकते हैं। कक्षा शुरू करने के पहले ही इन्हें एक बार गौर से देखें तो समय की बर्बादी से बच सकते हैं।