गोल्डस्मिथ का सुनहरा हृदय
ऑलिवर गोल्डस्मिथ निबंध, कहानी संग्रह, नाटक आदि लिखनेवाले एक अँग्रेज लेखक थे | वे प्रेम से भरे कोमल हृदयवाले थे, और बच्चों से बहुत प्यार करते थे। इसके अलावा, दीन-हीन लोगों की यथाशक्ति मदद से वे कभी हिचकिचाते नहीं थे |
ऑलिवर गोल्डस्मिथ ने स्वयं एक चिकित्सक बनना चाहा एवं मेडिकल विभाग में शिक्षा प्राप्त की | मगर उस विभाग में काम नहीं किया | उन्होंने लेखन कला को ही बड़े चाव से अपनाया |
एक गरीब स्त्री को जब उन कवि के बारे में, यह पता चला कि वो एक प्रेमपूर्ण सहृदय व्यक्ति हैं, तो वो उनके पास गयी | उनके पति बहुत बीमार थे, इसलिए उनके पास जाकर उसने प्रार्थना की, “मेरे पति बहुत बीमार हैं, मेरे पास पर्याप्त धन न होने के कारण कोई चिकित्सक के पास जाकर दवा लाने में असमर्थ हूँ| आप तो उदार मना हैं, क्या एक बार आकर उन्हें देख सकते हैं |”
जरा भी हिचकिचाए बिना, गोल्डस्मिथ उनके घर गए | उन्होंने देखा कि रोगी बहुत कमज़ोर है | इधर-उधर देखने पर पाया कि, अंगीठी जलने तक का कोई निशान नहीं दीखा घर में, मानो कई दिनों से घर मे खाना नहीं बना हो | बूढ़े रोगी के शरीर को ठीक तरह से ढँकने के लिए वस्त्र भी उनके पास नहीं के बराबर था |
कुछ देर तक उनसे बातें करने के बाद, जाने से पहले, वे उस गरीब महिला से, कुछ दवाइयाँ भिजवाने को कहकर चले गए |
घर पहुँचकर उन्होंने दस गिन्नियों को [अंग्रेजों के सोने के पैसे] एक छोटी से पेटी में डालकर उसपर “खाने के लिए रोटी-दूध और ठण्ड से बचने के लिए कोयला खरीदने के लिए इन्हें इस्तेमाल कीजिये” और “धैर्य और आशान्वित रहें”- ऐसा एक कागज पर लिखकर, उसे पेटी पर चिपका दिया और एक नौकर के हाथों उस पेटी को रोगी के यहाँ भेज दिया | एक चिकित्सक की दवाइयों से बढ़कर उस पेटी में रखी चीजों को देखकर उस रोगी की आँखें डब-डबा गयीं।
कुछ दिनों में, कुछ हद तक ठीक होने पर रोगी, चिकित्सक से यथोचित मदद प्राप्त होने के लिए, धन्यवाद देने हेतु [कृतज्ञता प्रकट करने] स्वयं उनके घर गया।