ब्रह्मांड की यात्रा

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ब्रह्मांड की यात्रा

अपनी आँखें बंद करें एवं सहजता का अनुभव करें। अपने हाथों को अपनी जाँघों पर रखें। तीन गहरी साँसें लें। श्वास लें तथा छोड़ें। जिस हवा में आप सांँस ले रहे हैं उसे महसूस करें। यह एक उपहार है जो सर्वशक्तिमान ईश्वर आपको दे रहा है। इसे मुस्कुराहट के साथ स्वीकार करें।

अब, इस कमरे में गर्मी महसूस करना शुरू करें। अपने आस-पास के तापमान को महसूस करें। यह वह गर्मी है जो सूरज आपके छोटे शरीर को गर्म रखने के लिए दे रहा है। इस ऊष्मा के बिना हमारा शरीर बहुत ठंडा होता।

आइए अब ब्रह्मांड की यात्रा पर चलें। कल्पना कीजिए कि आप उड़ रहे हैं। धीरे-धीरे आप यह कक्षा छोड़ रहे हैं। अब आप बादलों के बीच हैं। आप तब तक उड़ते रहते हैं जब तक आपको हर चीज़ बहुत छोटी न लगने लगे। वाह,वहाँ पृथ्वी है! ओह! यह कितनी सुंदर है! आप पृथ्वी की सुंदरता की प्रशंसा करने लगते हैं। आप अपने आप से कहें- “यह मेरा ग्रह है! मुझे इसकी रक्षा करने की ज़रूरत है”। आप पृथ्वी पर घूमने लगते हैं। आप महाद्वीपों और विशाल समुद्र को देख सकते हैं।

दूर से आप बड़े सूर्य को देख सकते हैं, जो ग्रहों को रोशनी तथा गर्मी प्रदान करता है। आप अपने आस-पास की सुंदर वस्तुओं को देखने के लिए रोशनी प्रदान करने हेतु सूर्य को धन्यवाद देते हैं, क्योंकि देखने के लिए आंँखों को रोशनी की ज़रूरत होती है।

आप सभी ग्रहों को सूर्य के चारों ओर घूमते हुए देख सकते हैं। यह देखना शानदार है। हम इस सुंदरता का हिस्सा बनकर बहुत भाग्यशाली हैं। अब कक्षा में लौटने का समय हो गया है। धीरे-धीरे सभी धरती पर वापस आ जाओ। अब, आप हर चीज़ को बड़ा और बड़ा होता हुआ देख रहे हैं। अब आप कक्षा के सामने हैं। आप ब्रह्मांड की यात्रा करके अत्यंत प्रसन्नता का अनुभव करते हुए चुपचाप कक्षा में प्रवेश करते हैं।

अपनी आँखें धीरे से खोलें।

वापसी पर आप सबका स्वागत है!

प्रश्न:
  1. आपने क्या देखा?
  2. क्या आपने पृथ्वी देखी?
  3. वह किस रंग की थी?
  4. क्या आप सूर्य को देख सकते हैं? यह कैसा था? (आकार और रंग)
  5. ग्रह कितने हैं?

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