वास्तु शिल्प कला

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वास्तु शिल्प कला

भारत में वास्तु (भवन आदि के निर्माण की) कला के कई अति-उत्तम कार्य हुए थे । प्राचीन सिन्धु घाटी की सभ्यता की जानकारी हमें उसकी शिल्प कला और उस समय की सभ्यता का ज्ञान कराने वाली पुस्तकों से होती हैं। इससे पता चलता है कि हमारे पूर्वज भवन निर्माण से संबंधित वास्तु कला में बहुत कुशल थे। सिन्धु घाटी की सभ्यता के बाद भारत के इतिहास में आर्य सभ्यता का उद्भव हुआ। जिसमें वास्तु कला में धार्मिकता को स्थान दिया गया है। बौद्ध स्तूप इस युग की शिल्प कला के प्रथम नमूने हैं। पूर्व में बौद्धों द्वारा बहुत से स्मारक बनाए गए इनमें से बहुत से या तो नष्ट हो गये या नष्ट कर दिए गये। सांची का स्तूप विश्व प्रसिद्ध है। राजा अशोक ने जब बौद्ध दीक्षा ली तब इसे बनवाया था। बौद्ध भिक्षुओं ने शिल्प कला को बहुत उन्नत बनाया। हिन्दुओं की सर्वोत्तम वास्तुकला की अभिव्यक्ति भारत के उन मंदिरों में है जो देशवासियों एवं विदेशियों दोनों के लिए अपनी अद्भुत शैली के कारण दर्शनीय है। हिन्दू विदेशों में जहाँ भी जाते हैं, मंदिर बनाते हैं। वास्तुकला की उत्कृष्ट शैली के अनेक विशालकाय सुन्दर मंदिर आक्रामक विदेशियों द्वारा नष्ट भ्रष्ट कर दिए गये। परन्तु इनमें से बहुत से आज भी सुरक्षित हैं। उड़ीसा का लिंगराज मंदिर, कोणार्क का सूर्यदेव मंदिर, मध्यप्रदेश में खजुराहों का मंदिर तथा अन्य अनेक मंदिर श्रेष्ठ वास्तु शिल्प कला के उदाहरण हैं। दक्षिण भारत में मदुरै के मीनाक्षी का मंदिर, कांजीवरम् में वरदराज का मंदिर और बेलूर में हालेबिद और मैसूर में गोमतेश्वर का मंदिर प्रसिद्ध है।

कुछ महान अद्भुत शिल्प नमूनों का निर्माण मुगल कारीगरों द्वारा भी हुआ। जिनका नाम हिन्दू और बौद्ध शिल्पकारों की तरह आज तक अज्ञात है। शाहजहां के द्वारा बनाये ताजमहल के परिचय की कोई आवश्यकता नहीं है। वह भारतीयों एवं विदेशियों द्वारा शिल्पकारी का विश्व में एक आश्चर्य माना जाता है। कुछ सुन्दर मस्जिदें भी बनाई गई हैं उनमें एक खम्भे पर टिकी कुतुबमीनार है जिसे मुगलों के गुलामवंशी शासन काल में बनाया गया था।

शाहजहां के पितामह अकबर के द्वारा बनाई फतेहपुर सीकरी, उत्तर भारत में वास्तु शिल्प का सुन्दर आकर्षण हैं। जैन और सिक्खों ने भी इस कला के कुछ उत्कृष्ट नमूने उत्तर भारत में बनाये हैं। भारतीय पूर्वज चाहे हिन्दू, मुसलमान, जैन अथवा सिक्ख हो वे शिल्प कला में अत्यधिक निपुण थे जिस पर आधुनिक भारतीयों को गर्व होना चाहिए।

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