प्रकृति की देखभाल

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प्रकृति की देखभाल
गुरू अभ्यास की पंक्तियों को धीरे-धीरे पढ़ते हैं, जहाँ बिंदु हैं वहाँ पर रुकते हैं…
पानी और प्राकृतिक ध्वनियों का कुछ संगीत बजाएंँ, जैसे व्हेल की आवाज़ें। 

बिलकुल शान्त स्थिर बैठ जाएंँ और अपने पैरों को मोड़ लें।(बच्चे जहांँ खड़े थे वहीं बैठ जाएँ )।

अपनी पीठ सीधी रखें।

अपने हाथ घुटनों पर रख लें।

गहरी सांस लें … और बाहर …

चलो इस बार चुपचाप कोशिश करते हैं …

अपने शरीर के हर अंग को स्थिर रखें और सुनें कि कमरा कितना शांत है।

अगर आप चाहें तो अपनी आंँखें बंद कर लें (5 सेकंड के लिए रुकें)

कक्षा के बाहर की आवाजें सुनें …

बारिश की बूँदें … हवा … पंछी … भौंकता कुत्ता …

उन तरीकों के बारे में सोचें जिनसे आप प्रकृति की देखभाल कर सकते हैं …

धीरे-धीरे अपने शरीर को ढीला छोड़ें और अपनी आंखें खोलकर मुस्कुराएंँ।

अब अपने स्थान पर खड़े हो जाओ और एक साथ समीप आओ।

परिचर्चा:
  1. आपने कौन सी आवाजें सुनीं? चर्चा करना।
  2. जब आप चुपचाप बैठे थे तो आपने क्या सोचा ?
  3. आपको कैसा लगा?
  4. यदि आपने इस मौन बैठक का आनंद लिया है तो अपना हाथ ऊपर उठाएंँ।

[संदर्भ: मानव मूल्यों में सत्य साई शिक्षा, कैरोल एल्डरमैन द्वारा चरित्र और भावनात्मक साक्षरता के विकास के लिए एक पाठ्यक्रम]

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