सृजन – ईश्वरीय प्रक्षेपण

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सृजन – ईश्वरीय प्रक्षेपण

जब भी सृजन का कार्य होता है, तो विविधता, गुणन और भिन्नता होती है। इसके अतिरिक्त, यदि केवल एक है, तो कोई संबंध नहीं है; संबंध तब शुरू होता है जब एक अनेक बन जाता है, और इसका आनंद उनके गुणों के माध्यम से लिया जाता है।
एजुकेयर का अर्थ है यह समझना कि सृजन के सभी तत्वों, मानव क्षमता के सभी क्षेत्रों और प्रकृति के सभी पहलुओं के बीच एक अंतर्निहित, समग्र अंतर-संबंध है।

संपूर्ण सृष्टि के लिए ईश्वर ही बीज है। इस बीज से, ईश्वर से, गुणों की उत्पत्ति हुई है। बीज से पौधा बनता है। पौधे के खिलने, काँटे, पत्तियाँ, फूल और फल के विभिन्न चरण बीज में निहित हैं।’

– श्री सत्य साई(13 जनवरी 1992)।

प्रकृति में अनेक वस्तुएँ हैं, जिनका उद्गम एक ही दिव्य सत्य में है। इंद्रधनुष ‘श्वेत प्रकाश’ की एक किरण से उत्पन्न होता है; फिर भी बादलों और आकाश की पृष्ठभूमि पर, रंगों का स्पेक्ट्रम सौंदर्य सदा आनंद की वस्तु है। सात स्वरों का सामंजस्यपूर्ण संयोजन मनमोहक संगीत उत्पन्न कर सकता है; फिर भी सभी स्वर हवा में दबाव के कंपन मात्र हैं। इसी प्रकार, संपूर्ण सृष्टि पाँच तत्वों का एक दिव्य इंद्रधनुष है। विविधता प्रकृति की विशेषता है।

‘ईश्वरत्व, सृष्टि में सभी रूपों में निवास करता है, परमाणु से भी सूक्ष्म से लेकर विशालतम रूपों में। यह संपूर्ण सृष्टि में शाश्वत साक्षी के रूप में व्याप्त है।’

– श्री सत्य साई(15 मई 2000)।

ऋग्वेद में सृष्टि के श्लोक कहते हैं: पूरी तरह से वायु रहित, अकेला, एक ही सांँस लेता था; उसके परे कुछ भी नहीं था। अंधकार अंधकार में छिपा था। प्रारंभ में, केवल पूर्ण आत्मा ही थी; और कुछ नहीं था। ब्रह्म ने इच्छा की, ‘मैं संसार की रचना करूँ’। ओम के हृदय से सत्य आया, और ये सभी संसार अपनी राजसी महिमा में। इस सार्वभौमिक महासागर से समय आया, जिसने रात और दिन का निर्माण किया। ओम ईश्वर का पहला आदिम शब्द है जिसने इस सृष्टि को जन्म दिया। संपूर्ण ब्रह्मांड एक सर्वोच्च ऊर्जा सिद्धांत से रचनात्मक आवेग प्राप्त करता है। अंतरिक्ष और समय के आयाम इस प्रारंभिक सृजन कार्य के साथ शुरू हुए। बाबा कहते हैं, ‘भगवान ने ब्रह्मांड (प्रकृति) को देश, काल और गुणों से बुना है।’

आधुनिक विज्ञान बिग बैंग सिद्धांत का उल्लेख करता है जिसके अनुसार लगभग 15 अरब वर्ष पूर्व अनंत घनत्व का एक सुपर-परमाणु विस्फोट हुआ था। स्थिति की विशिष्टता (जिसे ‘विलक्षणता’ कहा जाता है) के कारण विज्ञान बिग बैंग होने से पहले कुछ भी कहने में सक्षम नहीं है; इस प्रकार, बिग बैंग के साथ, समय और स्थान की अवधारणा शुरू हुई। विस्फोट के टुकड़े अभी भी एक दूसरे से दूर जा रहे हैं; इस प्रकार यह ब्रह्मांड अंतरिक्ष में एक ‘विस्तारित ब्रह्मांड’ का चित्र प्रस्तुत करता है। सिद्धांत के अनुसार, प्रारंभिक विस्फोट शून्य में कंपन के साथ शुरू हुआ; और वैज्ञानिकों के अनुसार, पूरा ब्रह्मांड विस्फोट की ध्वनि की पृष्ठभूमि से भरा हुआ है।

इस प्रकार सूक्ष्मतम अंतरिक्ष से लेकर स्थूल पृथ्वी तक ब्रह्मांड विकसित हुआ है, जो विविधता में एकता और दिव्यता के मूल सत्य को प्रदर्शित करता है। सृष्टि के अनुभव के लिए पाँच गुण तथा पाँच इंद्रियाँ दी गई थीं। शब्द अंतरिक्ष का एकमात्र गुण है, जो सर्वव्यापी है। पृथ्वी सभी तत्वों में सबसे महत्वपूर्ण है क्योंकि यह अपने ऊपर मौजूद सभी प्रकार के जीवन को पोषण प्रदान करती है। इस प्रकार, कंपन द्वारा विकिरण से भौतिकीकरण तक, सृष्टि दिव्यता के साक्षी के रूप में उभरी है।

‘संपूर्ण ब्रह्मांड पाँच मूल तत्वों (पंच भूतों) से बना है – अंतरिक्ष, वायु, अग्नि, जल और पृथ्वी। ध्वनि, स्पर्श, रूप, स्वाद एवं गंध उनके गुणों का प्रतिनिधित्व करते हैं। ये सभी मूल स्रोत सत्-चित-आनंद से उत्पन्न हुए हैं।’

– श्री सत्य साई(15 मई 2000)

Element (Mahabhoota) Attribute Sense Organ
Space (Aakasha) Sound (Shabda) Ear
Air (Vayu) + Touch (Sparsh) Skin
Fire (Agni, Tejas) + Form (Roopa) Sight (Eyes)
Water (Aapas, Jala) + Taste (Rasa) Tongue
Earth (Prithvi) + Smell (Gandha) Nose
  • अनेकता प्रकृति की विशेषता है।
  • एक ने अनेक बनने की इच्छा की।
  • संपूर्ण सृष्टि ईश्वर का प्रक्षेपण है।

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