ईर्ष्या से सर्वनाश होता है

Print Friendly, PDF & Email
ईर्ष्या से सर्वनाश होता है

एक गाँव में माधव और केशव नामक दो किसान रहते थे| माधव होशियार तथा मेहनती था| केशव आलसी, चिंतातुर और खिन्न रहने वाला था| उसे माधव से बहुत ईर्ष्या थी, वह प्रसन्नचित माधव को देखते ही चिड़चिड़ाने लगता था। वह परमेश्वर से माधव के सर्वनाश की प्रार्थना भी करता था| किंतु उसे ऐसा लगता था, कि परमात्मा केवल माधव पर ही कृपालु हैं। माधव की यह इच्छा थी कि उसके समान ही गाँव में सभी लोगों को आनन्द प्राप्त होना चाहिए| एक बार कई दिनों की मेहनत से उसने अपने खेत में एक बहुत बड़ा कद्दू (कुम्हड़ा) उपजाया| उसके छिलके पर इन्द्रधनुष के सातों रंग दिखते थे| उसमें मोगरे के फूल की सुगन्ध आती थी और स्वाद शहद के समान मीठा था| इन सबसे अधिक आश्चर्य की बात यह थी, कि उसमें चार पाँव, सूँड और पूँछ भी स्पष्ट दिखाई देती थी| इस कारण वह हू-ब-हू हाथी के समान दिखता था|

माधव ने सोचा, कि यह आश्चर्यजनक कुम्हड़ा राजा को भेंट करने के लिए उपयुक्त रहेगा| अतः वह उस कुम्हड़े को राजधानी ले गया और उसे उपहार के रूप में राजा के चरणों में अर्पित किया| इस अलौकिक भेंट से राजा इतना प्रसन्न हुआ कि उसने राजसी भेंट के रूप में माधव को एक जीता-जागता वास्तविक हाथी दिया|

केशव ने जब यह बात सुनी तो उसे माधव से अत्यधिक ईर्ष्या हुई, उसे रातभर नींद नहीं आई| उसने सोचा, “अब राजा को माधव की अपेक्षा अधिक खुश करना चाहिए और यदि ऐसा हो सके तो राजा माधव की अपेक्षा अधिक मूल्यवान वस्तु दान में देगा| जब खिलौने के समान हाथी से राजा इतना खुश हुआ, तब यदि उपहार में वास्तविक हाथी दिया जाए तो वह और अधिक खुश होगा और उसके बदले में मुझे एक-दो गाँव इनाम में दे देगा और मुझे जमींदार बना देगा|” दूसरे दिन केशव ने अपने खेत, गाय-बैल, भेड़-बकरी सब बेच डाले| उससे जो रकम मिली उससे उसने एक बड़ा हाथी खरीद लिया और उसे लेकर राजा के पास गया| राजा यह समझ नहीं पा रहा था कि एक ग्रामीण किसान नजराने में उसे हाथी क्यों दे रहा है| अतः उसने अपने चतुर मंत्री को इस सम्बन्ध में पता लगाने तथा बदले में दी जा सकने वाली उपयुक्त भेंट के विषय में सूचित करने को कहा|

उस बुद्धिमान मंत्री ने केशव से चर्चा की| थोड़ी देर में ही उसकी समझ में यह बात आ गई, कि केवल ईर्ष्यावश ही केशव राजा के लिए हाथी भेंट में लाया था| अतः वह राजा के पास जाकर बोला, “महाराज, पहले आपने एक किसान को कुम्हड़े के बदले में एक सुन्दर सा हाथी दिया था, अतः अब इस किसान को हाथी के बदले एक अच्छा कुम्हड़ा देना पर्याप्त होगा|” जब केशव को राजा से दान में एक साधारण कुम्हड़ा मिला, तो उसका ह्रृदय वेदना से फट गया| उसनी अपनी पूरी सम्पत्ति पहले ही बेच दी थी, अतः अब वह कंगाल हो गया| यह सब उसके द्वेष के परिणामस्वरूप ही हुआ|

प्रश्न:
  1. केशव और माधव में तुम्हें क्या अंतर दिखा? तुम्हें कौन अच्छा लगा? और क्यों?
  2. राजा ने माधव को जब हाथी दिया था, तो मंत्री ने केशव को केवल कुम्हड़ा देने के लिये क्यों कहा?
  3. कल्पना करो, कि तुम्हें शाला में इनाम मिला है और तुम्हारे मित्र को ईर्ष्या होती है, उसे उचित सबक देते हुए एक पत्र लिखो|

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *