जपमाला

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जपमाला

उद्देश्य: प्रथम समूह के बच्चों को नामस्मरण का महत्व समझाते हुए यह बताना कि कैसे भगवान का नाम हर समय हमारी रक्षा कर सकता है और कठिन से कठिन कार्यों को पूरा करने में हमारी मदद कर सकता है।

आवश्यक सामग्री: मोती, तार, कैंची

जपमाला बनाने की गतिविधि

गुरू द्वारा भगवान हनुमान के जीवन से संबंधित कहानियाँ सुनानी जायें कि कैसे वे भगवान राम का नाम लेकर सबसे कठिन कार्यों को पूरा करने में सक्षम थे। बच्चों को समझाएंँ कि भगवान का नाम लेकर कोई भी गतिविधि करने से हमें उस कार्य को आसानी और आत्मविश्वास से करने के लिए आवश्यक साहस, दृढ़ संकल्प और बुद्धि मिलती है।

  1. प्रत्येक बच्चे को 27 मनके (यह 26 नियमित मनके हो सकते हैं, एक गुरू मनका जो सामान्य से थोड़ा बड़ा या अलग रंग का हो) एवं एक डोरी बांँटें।
  2. एक सपाट और स्वच्छ सतह पर, उन्हें 27 मनकों को डोरी में पिरोने हेतु रखने के लिए कहें।
  3. धागे में अंतिम गाँठ बाँधें और प्रत्येक बच्चे को पहले मनके से शुरू होने वाले मोतियों को पिरोने के लिए कहें।
  4. उन्हें धीरे-धीरे हर मनके को डोरी के साथ लगातार “जय श्री राम” का जप करते हुए जोड़ने के लिए कहें।
  5. एक बार 26 मनके हो जाने के बाद गुरुओं को बड़े मनके और लटकन से जोड़ने में बच्चों की मदद करनी चाहिए।

संक्षेप में – सुझाए गए प्रश्न
  1. क्या आपने गतिविधि का आनंद लिया?
  2. क्या आपको लगता है कि आपने जो जपमाला बनाई है वह सकारात्मक ऊर्जा से भरी हुई है? क्यों?
  3. क्या होता है जब हम प्रभु का नाम लेकर कोई कार्य करते हैं?

यहाँ पूरे क्रियाकलाप के दौरान ध्यान,भगवान के नामजप पर होना चाहिए। कक्षा के अंत में जप माला बच्चों को उनकी वेदी में रखने के लिए सौंपी जा सकती है। बच्चों को उनकी पसंद के किसी भी मंत्र का जाप करने के लिए कहा जा सकता है – गायत्री मंत्र या ओम् श्री साईराम या ओम् नमः शिवाय या जय श्री राम प्रतिदिन 27 बार। बच्चों को इस जपमाला का उपयोग करके गणेश चतुर्थी पर 108 बार (27*4) श्री गणेशाय नमः जैसे विशिष्ट जप करने के लिए कहा जा सकता है।

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