माँ का प्यार

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माँ का प्यार

अपने आप को आरामदायक स्थिति में रखें। अब कल्पना कीजिए कि आप सफेद और चमकदार सीढ़ियों पर हैं। अब सीढि़यों से एक-एक करके उतरना शुरू कीजिए (10, 9, 8, 7, 6…..1)

आप एक बड़े दरवाजे से अंदर आते हैं। दरवाजा चमक रहा है। आप उत्सुक हैं कि इस दरवाजे के पीछे क्या हो सकता है। आपने दरवाज़ा खोला और आप क्या देखते हैं?… आपकी माँ!!!

ओह! आप अपनी मांँ को देखकर अत्यंत खुश हैं। वह बहुत ही सुन्दर है। आप उसकी ओर दौड़ते हैं और उसके गले से लगकर एक प्यारा सा चुंबन देते हैं, “आई लव यू माँ,” आप उससे कहते हैं। आपकी माँ फिर एक प्यारी सी मुस्कान के साथ जवाब देती है “मैं भी तुमसे प्यार करती हूँ मेरे बच्चे। मैं तुम्हें हमेशा प्यार करूँगी।” फिर वह आपको अपनी बाहों में लेती है और एक गाना गाने लगती है। (एक गीत के बारे में सोचिए जो आपकी मांँ गाती थी)

माँ और आपमें प्रेम का आदान-प्रदान हो रहा था। “मैं तुम्हें कभी नहीं छोड़ूंगा माँ”। आपने अपनी माँ से कहा।

वह फिर आपको हाथ पकड़कर मुख्य द्वार की ओर ले जाती है।

एक मुस्कान के साथ वह कहती है, “हम घर पर मिलेंगे। दयालु और मधुर बनो”।

आप फिर दरवाजे को पार करते हैं और सीढ़ियों पर कदम रखना शुरू करते हैं। (1, 2, 3…10)

वापसी पर आपका स्वागत है।

प्रश्न:
  1. आपको कैसा लगा?
  2. आपकी माँ कैसी हैं?
  3. क्या आप उससे प्यार करते हो?
  4. क्या आप एक दिन अपनी मांँ को छोड़ देंगे?

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