भगवान श्रीराम का अयोध्या आगमन
भगवान श्रीराम का अयोध्या आगमन
रावण वध के पश्चात्, राम और सीता का पुनर्मिलन हो गया और उनके वनवास काल की समाप्ति का समय आ गया, यह उनके अयोध्या लौट आने का समय था। राम के आगमन का शुभ समाचार मिलते ही भरत बहुत प्रसन्न हुए। वे राम की अगवानी करने, नंदीग्राम से अयोध्या पहुँचे। राम के स्वागतार्थ, पूर्ण तैयारी के लिए उन्होंने साधु संतों को एकत्रित किया। अयोध्या के नागरिकों, तीनों रानियों एवं शत्रुघ्न के साथ,भरत, राम से मिलने आगे बढ़े। श्रीराम को देखते ही उनके सम्मान में भरत ने साष्टांग दंडवत प्रणाम किया। समस्त् अयोध्यावासियों का उत्साह देखते ही बनता था। जब उन्होंने महल में प्रवेश किया, तब गुरू वशिष्ठ ने राम के राज्याभिषेक की, निश्चित तिथि की घोषणा की। निश्चित शुभ दिवस पर, राम ने वशिष्ठ एवं अन्य गुरुओं को साष्टांग प्रणाम किया। माता रानियों के चरणों में प्रणाम कर, आशीर्वाद लिया एवं सीता के साथ सिंहासन पर विराजमान हुए।
इस प्रसंग के दौरान गुरू बच्चों को बताएँ कि, जब राम ने अयोध्या में प्रवेश किया वहाँ चारों तरफ, पर्व (त्योहार) जैसी सजावट, उल्लास और खुशी का वातावरण था। इसी प्रकार, यदि हम चाहते हैं कि, भगवान का आगमन हमारे हृदय में हो, तो, हमें हमारा ह्रदय, पवित्र, शुद्ध और स्वच्छ रखना चाहिए, मूल्यों और गुणों के साथ सज्जित करना चाहिए, जिससे भगवान प्रसन्न होते हैं।
इस प्रकार, रामराज्य युग (समय) का, शुभारम्भ हुआ, जो कि न्याय और सच्चाई से परिपूर्ण होने के फल स्वरूप, जनमानस की सुख शान्ति का प्रतीक (चिन्ह) बना।
[कथा स्त्रोत: राम कथा रसवाहिनी से उद्धृत – समूह 1,2 और 3 के बच्चों के लिये]