पात्र अभिनय – एक अवलोकन

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Role Play

रोल प्ले ( पात्र अभिनय) एक ऐसी विधि है जिसके माध्यम से बच्चे स्थितियों के बारे में सोचते हैं और फिर उन पर अमल करने का प्रयास करते हैं। इससे उन्हें यह सीखने में मदद मिलती है कि किसी अन्य की जगह पर रहना तथा दूसरों के साथ सहानुभूति रखना कैसा लगता है। यह, रचनात्मक सोच एवं आत्मविश्वास को प्रोत्साहित करता है।

भूमिका निभाना/पात्र अभिनय कई प्रकार का हो सकता है:
  1. परिस्थितियों से बाहर निकलकर सरल अभिनय करना।
  2. नकल करना (वास्तव में बात किए बिना स्थितियों का अभिनय करना)।
  3. रेडियो प्ले (परिस्थिति को छिपाकर अभिनय करना ताकि अन्य लोग केवल सुन सकें)
  4. तथा कल्पना की अनुमति के अनुसार कई अन्य विविधताएँ भी हो सकती हैं।
रोल प्ले की पद्धति:

जब बच्चे भूमिका निभाने में नए हों, तो वे दी गई कहानी पर अभिनय करके शुरुआत कर सकते हैं। जैसे-जैसे वे अधिक आश्वस्त हो जाते हैं, वे अपने विचारों के अनुसार कहानी के निष्कर्ष को सुधारना या बदलना शुरू कर सकते हैं, तथा उस बिंदु को समझा सकते हैं जो वे अंत में कहना चाहते थे।

पात्र अभिनय (रोल प्ले) एवं दृष्टिकोण परीक्षण (एटीट्यूड टेस्ट) में अंतर:

एक दृष्टिकोण परीक्षण के अंतर्गत, स्थितियों की एक सूची दी जाती है और बच्चे को उनमें से प्रत्येक पर विचार करने के लिए कहा जाता है।
रोल प्ले में, छात्रों को अभिनय के लिए केवल एक ही स्थिति दी जाती है।
मान लीजिए कि हम ईमानदारी के मूल्य के साथ काम कर रहे हैं, तो हम छात्रों से ऐसी किसी भी स्थिति में कार्य करने के लिए कह सकते हैं जिसमें बच्चे को इस मूल्य (ईमानदारी) के संबंध में संघर्ष का सामना करना पड़ सकता है। उदाहरण के लिए, बच्चे ऐसी स्थितियों का अभिनय कर सकते हैं जैसे:

  • बिना कोई समाधान बताए समस्या प्रस्तुत करना: उदाहरण के लिए- एक बच्चा सोच रहा है कि क्या किया जाए? मुझे परीक्षा में नकल करनी चाहिए या नहीं?
  • व्यवहारिक उदाहरण प्रस्तुत करना: (उदाहरण के लिए- बच्चा वास्तव में परीक्षा में नकल कर रहा है।)
  • प्रस्तुत करना कि सही व्यवहार क्या होना चाहिए: (उदाहरण के लिए- यह दिखाना कि धोखा देने के अवसर होने के बावजूद बच्चा ईमानदार व्यवहार के प्रति दृढ़ है।)

उपरोक्त सभी मामलो में, भूमिका निभाने की अपेक्षा उसका विश्लेषण अधिक महत्वपूर्ण है। विश्लेषण से पता चलता है कि क्यों एक व्यक्ति को ईमानदारी जैसे मूल्य को स्वीकार करना चाहिए और सभी अवसरों पर इस मूल्य को कायम रखते हुए कार्य करना चाहिए। यदि छात्रों के बड़े समूह हैं, तो हम ईमानदारी के मूल्य से संबंधित विभिन्न स्थितियों को प्रस्तुत कर सकते हैं एवं उनका विश्लेषण कर सकते हैं। इससे मूल्य के महत्व और जीवन में इसके व्यावहारिक अनुप्रयोग को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलेगी।

एक निश्चित मूल्य को दर्शाने वाली भूमिकाएँ निम्नानुसार निभाई जा सकती हैं:
  1. शिक्षक प्रत्येक छात्र को कार्य करने के लिए कथानक देते हैं।
  2. शिक्षक विषय देते हैं, एवं बच्चे अपना स्वयं का कथानक तैयार करते हैं।
  3. प्रत्येक समूह को संबंधित मूल्य चुनने के लिए कहा जाता है तथा फिर वह अपने विषय, कथानक आदि पर निर्णय लेता है।
चरण:
  1. एक बार विषय का चयन हो जाने के पश्चात्, छात्रों को पांँच-छह के समूहों में या किसी भी संभव संख्या में विभाजित करें। प्रत्येक समूह को किसी स्थिति को समान मूल्य, मान लीजिए, ईमानदारी के साथ प्रस्तुत करने के लिए कहा जाता है। एक या दो समूह घर से परिस्थितियाँ ले सकते हैं, एक या दो समूह हमारे पड़ोस आदि से। इन भूमिका-नाटकों को तैयार करने के लिए समूहों को लगभग 10 मिनट का समय दें।
  2. प्रत्येक समूह को भूमिका-खेल(रोल प्ले)प्रस्तुत करने के लिए कहें। यह सुनिश्चित करने के लिए ध्यान रखा जाना चाहिए कि जब एक समूह भूमिका प्रस्तुत कर रहा हो तो अन्य समूह चौकस रहें। प्रत्येक भूमिका निभाने के बाद, ऐसी स्थितियों में ईमानदारी के इस मूल्य की आवश्यकता को सामने लाने के लिए भूमिका निभाने का विश्लेषण करें। ऐसा प्रश्न पूछकर किया जा सकता है जैसे:
    • रोल प्ले में पात्रों ने अपने रोल में एक विशेष तरीके से व्यवहार क्यों किया था?
    • क्या आपको लगता है कि यह सही प्रकार का व्यवहार था?
    • दी गई स्थिति में पात्रों के लिए कार्रवाई का वैकल्पिक तरीका क्या हो सकता था?

यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि इस तरह के विश्लेषण में [भूमिका निभाने एवं दृष्टिकोण परीक्षण दोनों के मामले में], बालविकास गुरु को यह ध्यान में रखना होगा कि उन्हें एक सहज अनुदेशक बने रहना चाहिए व धीरे-धीरे बच्चों को स्वयं स्थिति का विश्लेषण करने के लिए मार्गदर्शन करना चाहिए। वे बच्चों पर अपना मूल्य थोपे बिना, उन्हें सही निर्णय पर पहुंँचने में मदद करें।

भूमिका निभाने के लाभ:
  1. आत्मविश्वास में वृद्धि।
  2. महान रचनात्मक सोच।
  3. अच्छा चयन/ विवेक पूर्ण निर्णय लेने की क्षमता।
  4. सहयोग करना सीखना।

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