सत्या की सर्वज्ञता

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सत्या की सर्वज्ञता

उर्वाकोंडा के नागरिक सत्या का बहुत आदर करते थे, क्योंकि सत्या, हर मुसीबत में उनकी सहायता करते थे। एक बार एक मुस्लिम व्यक्ति का घोड़ा खो गया। वह या तो भटक गया था या किसी ने उसे चुरा लिया था। वह व्यक्ति व्याकुल हो, मीलों उसे ढूँढ आया था। वह घोड़ा ही उसकी आजीविका का साधन था। घोडागाड़ी के माध्यम से, वह व्यक्ति भिन्न-भिन्न सामान एक स्थान से दूसरे स्थान पहुँचा कर पैसे कमाता था। सब जगह ढूँढने पर भी वह घोड़ा न मिला, तो वह व्यक्ति बिल्कुल निराश हो गया।

उसी समय किसी ने उसे सत्या के बारे में बताया। वह तुरंत सत्या के पास पहुँचा और अपनी दुःख भरी कहानी सुनाई। अपनी व्यथा सुनाई। सत्या ने बताया कि “वह घोड़ा शहर से करीब डेढ़ मील दूर स्थित बाग में घास चर रहा है। यदि तुम तुरंत वहाँ चले जाओ तो तुम्हें, तुम्हारा घोड़ा मिल जाएगा।” मुस्लिम समुदाय सत्या के इस दयापूर्ण कार्य से इतना प्रभावित हुआ कि कोई भी ताँगेवाला, यदि सत्या को शाला से घर या घर से शाला पैदल जाते देख लेता, तो ताँगा रोक कर उसे गंतव्य तक छोड़ देता।

जब भी किसी व्यक्ति की कोई कीमती वस्तु खो जाती, तो वे सत्या जे पास ही आते और सर्वज्ञ सत्या उन्हें खोई हुई वस्तु का पता बता देते थे।

एक बार, उनके एक शिक्षक का कीमती पेन खो गया। उन्होंने सत्या से अनुरोध किया कि पेन को चुराने वाले व्यक्ति का नाम बता दे। सत्या ने एक चपरासी का नाम बताया, परंतु शिक्षक को विश्वास नहीं हुआ, क्योंकि वह चपरासी सामान्यतः ईमानदार ही था। उसके कमरे की तलाशी भी ली गई, परंतु पेन वहाँ भी नही मिला। परंतु सत्या अपनी बात पर अटल रहे और बताया कि “उसने वह पेन अपने पुत्र को भेंट किया है, जो अनंतपुर में पढ़ाई कर रहा है। उन्होंने यह भी कहा, कि मैं यह प्रमाणित कर सकता हूँ।” वह चपरासी अनपढ़ होने के कारण, अपने बेटे को दूसरों से पत्र लिखवा कर भेजता था। अपनी बात सिद्ध करने के लिए, सत्या ने भी, उससे, उसके पुत्र के नाम एक पत्र लिखवाया, जिसमें स्वास्थ्य के बारे में सामान्य प्रश्न पूछने के बाद लिखा गया कि वह पेन जो भिजवाया था, वह कैसा है? उसे संभाल कर रखना क्योंकि वह बहुत कीमती पेन है। कहीं वह चोरी न हो जाए। पत्र के साथ एक पता लिखा कार्ड भी रखा गया ताकि उत्तर प्राप्त हो सके। चार दिनों में ही पुत्र का उत्तर मिल गया, जिसमें लिखा था कि वह पेन तो बहुत सुंदर लिखता है और उसने बहुत संभाल कर भी रखा है।

इस प्रकार सत्या की सर्वज्ञता प्रमाणित हो गई।

[Source: English Lessons adapted from the Divine Life of Young Sai, Sri Sathya Sai Balvikas Group I, Sri Sathya Sai Education in Human Values Trust, Compiled by: Smt. Roshan Fanibunda]

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