दृष्टि – मुस्कान
दृष्टि – मुस्कान
मेरे प्यारे बच्चों!
देखो, भगवान बाबा मंदहास के साथ तुम्हारे सामने खड़े हैं। एक लंबी गहरी सांँस लें, अपनी आंँखें बंद करें और मुस्कुराएंँ। स्वामी कहते हैं कि हमेशा खुश रहो। जब हम मुस्कुराते हैं तो पूरी दुनिया हमारे साथ मुस्कुराती है।
अच्छे कर्म करने से भगवान, हमारे माता-पिता और गुरू मुस्कुराते हैं। हर किसी को प्रसन्न चेहरा देखकर आनंद आता है। ख़ुशी एक बूमरैंग (प्रत्यावर्ती अस्त्र) की तरह है, जब हम इसे दूसरों को देते हैं तो यह हमारे पास वापस आ जाती है। हम जितना अधिक मुस्कुराएंँगे, उतना अधिक खुश रहेंगे। मुस्कुराने के बारे में एक छोटी कविता सुनें और पूरे दिन मुस्कुराते रहें।
मुस्कुराओ, मुस्कुराओ, हर दिन तुम मुस्कुराओ।
तुम मुस्कुराओगे तो दुनिया मुस्कुरायेगी।।
माँ की मुस्कान हमें खुशी देती है, पिता की मुस्कान हमारे भीतर आत्मविश्वास भरती है। गुरू की मधुर मुस्कान हमारे अच्छे कार्यों के प्रति स्वीकार्य को प्रगट करती है जबकि मित्र की मुस्कान हमारे प्रति करुणा प्रदर्शित करती है। प्रत्येक मुस्कान हमारे दिलों को छूने और उन्हें खोलने की क्षमता रखती है। अपने चेहरे पर हमेशा मुस्कान बनाए रखें क्योंकि भगवान चाहते हैं कि हम हमेशा खुश रहें। दूसरों की सहायता करने में आनंद है, देने में आनंद है, सेवा करने में आनंद है, सुनने में आनंद है और जीने में आनंद है। यह अत्यधिक प्रसन्नता लाता है। आइए एक प्रसन्न मुस्कान के साथ अपनी आँखें खोलें।
प्रश्न:
- क्या हमें नाराज़ होना चाहिए? क्यों नहीं?
- मुस्कुराते हुए चेहरे किसे पसंद हैं?