सार्वभौमिक धर्म का आदर्श

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सार्वभौमिक धर्म का आदर्श

स्वामी विवेकानन्द के अनुसार, “प्रत्येक आत्मा संभावित रूप से दिव्य है। बाह्य तथा आंतरिक प्रकृति को नियंत्रित करके इस दिव्यता को प्रकट करना ही लक्ष्य है। इसे या तो कार्य या पूजा अथवा मानसिक नियंत्रण या दर्शन के द्वारा करें- एक या अधिक अथवा सभी विधि से और मुक्त रहें। यह संपूर्ण धर्म सिद्धांत, हठधर्मिता, अनुष्ठान, किताबें, मंदिर या रूप गौण हैं…”

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