सूर्य
सूर्य
सभी बच्चे सर्वप्रथम सीधे बैठें। सांँस अंदर लें और धीरे से बाहर छोड़ें। अपनी आँखें बंद करें। अब कल्पना कीजिए कि आप सभी सूर्य को देखने के लिए यात्रा पर जाने के लिए तैयार हो रहे हैं। यह अग्नि का एक बड़ा गोल गोला है। इसमें लाल, नारंगी और पीले रंग होते हैं। जब हम सूर्य के और करीब जाते हैं तो हमें गर्मी का अहसास होता है। इसके बहुत करीब जाना आसान नहीं है।
सूर्य हमें प्रकाश और ऊष्मा देता है। प्रतिदिन प्रातः समय पर उदित होकर और शाम को अस्त होकर अनुशासन सिखाता है। पृथ्वी पर जीवन केवल सूर्य के कारण ही संभव है। पौधे अपना भोजन सूर्य के प्रकाश की सहायता से बनाते हैं।
सूर्य पृथ्वी पर सभी के साथ समान व्यवहार करता है। यह निस्वार्थ रूप से सदैव हमें देता है। हमें भी निस्वार्थ होना चाहिए और सभी के साथ प्यार और देखभाल के साथ समान व्यवहार करना चाहिए।
सूर्य को गति करते देखने के लिए आप सभी उत्साहित हैं लेकिन यह पृथ्वी ही है जो सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाती है। अब उसी उत्साह के साथ अपने स्थान पर वापस आएंँ और धीरे-धीरे अपनी आंँखें खोलें। सूर्य सभी को प्रकाश और गर्मी देता है, सूर्य की तरह बनो; सबको अपना प्यार दो।
सूर्य पृथ्वी पर सभी के साथ समान व्यवहार करता है। यह निस्वार्थ रूप से सदैव हमें देता है। हमें भी निस्वार्थ होना चाहिए और सभी के साथ प्यार और देखभाल के साथ समान व्यवहार करना चाहि
गतिविधि:
गुरू, बच्चों को निर्देशित मानसिक दर्शन यात्रा के दौरान जो कुछ भी देखा उसे चित्रित करने के लिए कह सकते हैं।
[स्रोत: सेल्फ डिस्कवरी के प्रारंभिक चरण-2, सत्य साई शिक्षा संस्थान (भारत), धर्मक्षेत्र, मुंबई।]