विवेकानंदजी की प्रार्थना
विवेकानंदजी की प्रार्थना
श्री रामकृष्ण नरेंद्र से बहुत प्यार करते थे| नरेंद्र भी उनसे उसी तरह अंतरंग स्नेह करता था| गुरू-शिष्य के बीच में ऐसा उन्नत, निर्मल प्रेम होने से ही, गुरू शिष्य को भगवान के बारे में सिखा सकते हैं| तभी गुरू, शिष्य के मन में, भगवान और भगवत-भाव को पूर्णरूप, से जगा सकते हैं|
नरेन्द्र श्री रामकृष्ण के शिष्य बने, ऐसा भाग्य प्राप्त होने से वे बहुत खुश हो गए| अक्सर दक्षिणेश्वर जाकर गुरू से ईश्वर के बारे में कई विषय जानने लगे| उस समय एक दुःखद घटना हो गई| नरेन के पिताजी अचानक चल बसे| उनका परिवार गरीबी में कष्ट भोगता रहा| कभी-कभी भोजन का भी अभाव रहता था| अपने परिवार की हालत देखकर नरेन उदास हो गए| जल्दी ही नौकरी प्राप्त करने की कोशिश की|
नरेन्द्र बी.ए. पढ़े थे, एक समझदार विद्यार्थी थे, तो भी उनको नौकरी मिलना असंभव था| उन्होंने हर एक दफ्तर में अथक प्रयत्न किया| बहुत कोशिश करने पर भी अच्छी नौकरी आसानी से नहीं मिली| वे मन मसोसकर चिंतित रहने लगे कि अगर मैं धन न कमाऊँ तो मेरी माँ, भाई-बहनों की क्या दशा होगी|
एक दिन नरेन्द्र ने, गुरू श्री रामकृष्ण से अपने मन की वेदना को प्रकट किया। गुरुजी ने उनको समझाया– “नरेन्, आज तो मंगलवार है, आज तुम जो कुछ माँगोगे, माँ काली तुम्हें जरूर देगी| उनके समक्ष जाकर उनसे सहायता का वर माँगो|”
उस दिन शाम को नरेन् प्रार्थना करने के लिए, माँ काली के मंदिर गए| लौट कर आते ही श्री रामकृष्ण ने, उनसे बड़े चाव से पूछा कि माता ने क्या कहा| नरेन् ने जवाब दिया– “ओह, उनसे वर माँगना तो मैं बिलकुल भूल गया|” “भूल गए क्या? फिर चलो, जल्दी जाओ”- श्रीरामकृष्ण ने फिर एक बार नरेन् को उत्साह दिलाकर भेजा| दूसरी बार भी वही हुआ| तीसरी बार भी उसी तरह नरेन्द्र कुछ न माँगकर लौटने पर उनका मुख शांत और निश्चल दीख पड़ा| उन्होंने श्री रामकृष्ण से कहा – “मैं कैसे माताजी के पास जाकर धन-दौलत माँगूँ? वह तो किसी एक महाराज के पास जाकर, साधारण कुम्हड़ा माँगने जैसे होगा न? देवी से मैं गहरी भक्ति, निश्वार्थ प्रेम, उसे पहचानने की शक्ति आदि को ही माँग सका|”
यह सुनकर उनके गुरू श्री रामकृष्ण ने नरेन को आश्वासन दिया कि तुम्हारे परिवार को कभी कोई कष्ट नहीं होगा| माँ तुम्हारे परिवार की व्यवस्था करेंगी| तुम्हें धन कमाने की आवश्यकता नहीं है| उंस रात ठाकुर ने नरेंद्र को देवी की प्रशस्ति का एक सुन्दर गीत सिखाया| जो रात भर नरेंद्र गाते रहे, और गुरू श्री रामकृष्ण गहरे ध्यान में लीन हो गए|
प्रश्न:
- नरेंद्र क्यों उदास थे?
- श्री रामकृष्ण ने उन्हें क्या सुझाव दिया?
- नरेंद्र ने माँ काली से क्या माँगा?
- नरेंद्र वो क्यों नही माँग पाए जो माँगने वो गए थे? श्री रामकृष्ण ने फिर क्या किया?