राजा कौन है?
राजा कौन है?
एक बार विश्वप्रसिद्ध सिकंदर महान ऊष्म प्रदेश आफ्रिका खंड गए| वे अपने सैनिकों के साथ ठहरने के लिए एक स्थान तथा भोजन की तलाश में इधर-उधर घूम रहे थे| तभी उनके समक्ष एक रेड इंडियन (एक आदिवासी प्रजाति का व्यक्ति) आया और उनसे अपने पीछे आने को कहा| वह उनको अपने मुखिया के पास ले गया| उसका मुखिया और दल कुरूप तथा काले रंग के थे|
कबीले के मुखिया ने सिकंदर और उसके साथियों का बड़े प्यार से स्वागत किया| उसने सिकंदर से मित्रता पूर्वक कहा, “आप निकट ही केले के बगीचे में ठहरिए, मेरे आदमी आपकी जरूरतों की पूर्ति करेंगे।” दूसरे दिन, मुखिया ने सिकंदर के लिए एक दावत का प्रबंध किया था| दावत में सिकंदर के सामने एक सोने की थाली में सोने के फल रखे गए थे। आदिवासी मुखिया ने कहा “सम्राट इन्हें खाइये”। चकित होकर अलक्षेंद्र ने पूछा, “क्या, आप लोग सोने के फल ही खाएँगे?” मुखिया ने झट जवाब दिया, “नहीं, नहीं! हम सिर्फ ताजे फल, दूध, मधु खाएँगे| परंतु आप तो बड़े महान सम्राट हैं, सोना जमा करना आपका लक्ष्य है, इसलिए आपको सोने के फल खाने के लिए दिए गए|”
अफ्रिका के नेता का बुद्धि-चातुर्य देखकर अलक्षेन्द्र एक क्षण स्तंभित हो गया और विनम्र होकर बोला “जी! मैं आपके यहाँ सोने के लालच से नहीं आया| आप जैसे अफ्रिका के लोगों के साथ मिलजुलकर रहने और आपके रहन-सहन, रीति-रिवाज और संस्कृति के बारे में जानने के लिए आया हूँ|” सिकंदर महान की इस बात से कबीले का मुखिया अत्यंत प्रभावित हुआ और उसने कहा, “ यह बात है क्या, यह तो मेरे सौभाग्य की बात है, बहुत अच्छा, जितने दिन आप यहाँ ठहरना चाहते हैं उतने दिन तक आराम से रहिए|” वो दोनों बातें कर ही रहे थे, कि इतने में दो आदमी एक मामला लेकर वहाँ आए। मुखिया ने उनसे पूछा, “मैं आपके लिए क्या करूँ|” पहले आदमी ने कहा, “जी, कुछ दिनों पहले मैं ने अपनी जमीन इनको बेच दी, कल जमीन जोतते समय इनको उससे एक खजाना मिला| ये कहते हैं कि मैंने सिर्फ जमीन ही आपसे खरीदी, खजाना नहीं, इसलिए इस पर मेरा हक़ नहीं, आप खजाना ले लीजिये|” मुखिया ने दूसरे व्यक्ति की ओर देखा । उसने कहा, “जब मैंने इनको जमीन बेच दी तभी जमीन पूर्ण रूप से इनकी हो गई, अत: उसमें प्राप्त खजाने पर भी इनका ही अधिकार है, मेरा नहीं|” उन दोनों व्यक्तियों की बातें सुनकर सिकंदर विस्मित होकर मुखिया की ओर देखने लगा कि ये इस जटिल मामले को कैसे सुलझाएँगे|
मुखिया ने कुछ क्षण चुप रहकर फिर दोनों की ओर देखते हुए पहले आदमी से पूछा – “मेरे प्यारे दोस्त, तुम्हारे घर में कोई सयानी लड़की है न”? उसने कहा, “हाँ-हाँ, मैं उसके लिए योग्य वर ढूंढ रहा हूँ|” फिर दूसरे आदमी से पूछा, “तुम्हारा कोई सयाना लड़का है, क्या?” उसने कहा, “हाँ जी, मैं उसके लिये योग्य वधू की खोज में हूँ|” मुखिया ने तुरंत पहले आदमी से कहा, “तुम अपनी बेटी की शादी उसके बेटे के साथ करा दो और दोनों के सुखमय जीवन के लिए खजाना उनके हाथ में सौंप दो|”
यह सुनकर दोनों बहुत खुश हो गए तथा कबीले के मुखिया का धन्यवाद कर एक होकर चले गए| थोड़ी देर के बाद मुखिया ने सिकंदर से पूछा कि इस मामले को आपके यहाँ कैसे सुलझाऐंगे| सिकंदर ने कहा – “हमारे देश में ऐसा हो, तो हमारे राजा स्वयं ही खजाना हड़पकर, यह घटना बाहर पता न चले इस उद्देश्य से उन दोनों आदमियों को जेल में डाल देगा|”
यह सुनकर मुखिया ने सोचा कितना क्रूर कार्य है, राजा का और कितना असभ्य व्यवहार! अपनी प्रजा की वस्तुओं को हड़पने का राजा को क्या हक़ है? तब तो वह राजा ही नहीं वरन् लुटेरा है| राजा वही है, जो अपनी प्रजा को सदा प्रसन्न रखे और उनको कभी कोई हानि न पहुँचाए|
प्रश्न
- अफ्रिकी मुखिया ने सिकंदर महान के सामने सोने के फल क्यों रखे?
- मुखिया के सामने क्या मामला लाया गया था?
- मुखिया ने क्या फैसला दिया?
- सिकंदर ने मुखिया से क्या कहा?
- असली राजा कौन है?