सदबुद्धि और आत्मसंयम

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सदबुद्धि और आत्मसंयम

Cyclist riding without light

यह कहानी एक नवयुवक से संबंधित है,जो कि एक अंधेरी रात को, भीड़भाड़ में साइकिल चला रहा था। साइकिल में बत्ती (लाइट) न होने के कारण पुलिस वाले ने उसे रोका। वह नवयुवक चिल्लाया “पुलिस महोदय! सावधान रहें! दूर रहें! मेरी साइकिल न केवल बत्ती-रहित है, बल्कि उसमें ब्रेक भी नहीं है|”

हम सबकी भी यही दुर्दशा है| सभी ज्ञान व बुद्धि रूपी बत्ती तथा आत्म संयमरूपी ब्रेक रहित हैं| इनके बिना स्वयं या दूसरों को हानि पहुँचाए बिना, परमानंद रूपी पथ पर चलना क्या संभव है?

Man too has wisdom and Self Control

जिस प्रकार साइकिल चालक को बत्ती तथा ब्रेक दोनों की जरूरत है, वैसे ही मानव को भी बुद्धि एवं आत्मसंयम की आवश्यकता है| नहीं तो वह आत्मसंरक्षण करने का मौका ही खो बैठेगा|

[स्रोत: चिन्ना कथा, भाग – 1]

 चित्रण: कुमारी सैनी
अंकीकृत: कुमारी साई पवित्रा
(श्री सत्य साई बालविकास भूतपूर्व छात्रा)

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