सुप्रभातमिदं
सुप्रभातमिदं
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नवम पद
- सुप्रभातमिदं पुण्यं, ये पठन्ति दिने दिने
- ते विशन्ति परं धाम, ज्ञान विज्ञान शोभिताः ॥ ९ ॥
भावार्थ
जो भी व्यक्ति इस सुप्रभात को नित्य गायेंगे उन्हें परमधाम की प्राप्ति होगी तथा वे सर्वोच्च ज्ञान एवं सुबुद्धि प्राप्त करेंगे ।
व्याख्या
सुप्रभातम् | सुप्रभात गायन |
---|---|
इदं | यह |
पुण्यम् | पुण्य |
ये | वो जो |
पठन्ति | पाठ करते हैं |
दिने दिने | प्रत्येक दिन |
विशन्ति | प्रवेश करते हैं | |
परम् धाम | ऊँचा स्थान |
ज्ञान | सर्वोच्च ज्ञान |
विज्ञान | उच्चतम विवेक |
शोभिताः | दिव्य प्रकाश |
आंतरिक महत्व:
परंधाम :
वेदांत ने घोषित किया है कि मानव जीवन का लक्ष्य मोक्ष अर्थात् जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्ति प्राप्त करना है। जीवन के अर्थ और उद्देश्य के बारे में अज्ञानता, गलत समझ, गलत सोच और गलत कार्यों की ओर ले जाती है और परिणामस्वरूप बंधन और पीड़ा होती है। ज्ञान और सद्बुद्घि हमें मुक्ति एवं आनंद की ओर ले जाते हैं।
ज्ञान और विज्ञान :
गुरु के चरणों में बैठकर जो कुछ भी सीखा जाता है, उसे ज्ञान या बोध कहा गया है। वही शिक्षा जब चिंतन और अभ्यास में लायी जाती है, तो प्रज्ञान में परिवर्तित हो जाती है।
सुप्रभातम के दैनिक सार्थक पाठ द्वारा, इसके आंतरिक महत्व का ध्यान करते हुए, हम अपने भीतर के ईश्वर से जुड़ते हैं और दिन भर उस दिव्य ऊर्जा से जुड़े रहते हैं।
व्याख्या:
जो सुप्रभातम् का प्रतिदिन गायन करता है वह दिव्य ज्ञान और उच्चतम विवेक के दिव्य प्रकाश से आलोकित परम धाम को प्राप्त करता है।
सद्गुरु साई प्रतिदिन हमारी आत्मिक चेतना को जागृत करे |