| ओम |
न बदलणारे शाश्वत, सार्वभौम, सर्वोच्च देवाचे ऐकू येणारे चिन्ह |
| तत् |
ते |
| सत |
ते सत्य |
| श्री |
शुभ, मंगल, लक्ष्मीचे प्रतीक |
| नारायण |
भगवान नारायण; जो सर्व प्राण्यांच्या हृदयात वास करतो |
| तू |
आपण. |
| पुरुषोत्तम |
परिपूर्ण अस्तित्व |
| गुरु |
अध्यापक/ गुरु जो स्वतः परिपूर्ण असल्याने इतरांना परिपूर्णतेकडे नेण्यासाठी सक्षम व्यक्ती आहे व्यक्ती आणि परमात्मा यांच्यातील दुवा. गुरूंना शीख धर्मात सर्वोच्च स्थान आहे |
| सिद्ध |
ज्ञानी (जैन धर्माचे ध्येय) |
| बुद्ध |
जागृत (बौद्ध धर्माचे ध्येय) |
| स्कंद |
दुःख दूर करणारा |
| विनायक |
ज्याला नेता (नायक) नाही |
| सविता |
सूर्य |
| पावक |
अग्निदेव, पारशी लोक देव म्हणून अग्नीची उपासना करतात |
| ब्रह्म |
प्राचीन भारतीय संस्कृती आणि अध्यात्मानुसार, तो विश्वाच्या निर्मितीस जबाबदार असलेल्या त्रिमूर्तीतला देव आहे |
| मज्द |
अहुरा मज्दा पारशी लोकांचा ईश्वर – महान देव |
| यह्व |
यहूदी धर्माचा देव |
| शक्ती |
शक्तीच्या रुपात देवाची पूजा केली जाते |
| येसू (ईसू) पिता |
येशू, स्वर्गातील पिता |
| प्रभु |
सद्गुणी |
| रूद्र |
अग्नी, जो शुद्ध करतो, वाईट विचारांचा नाश करतो |
| विष्णू |
सर्वव्यापी चैतन्य |
| राम |
धर्माचे प्रत्यक्ष प्रतीक |
| कृष्ण |
प्रेमाचे प्रत्यक्ष प्रतीक |
| रहीम |
दयाळू, करुणामय |
| ताओ |
जो संपूर्ण जगाला व्यापून टाकतो. चीनी देवताचे नाव |
| वासुदेव |
ज्याने सर्व प्राण्यांना आपले घर बनविले आहे |
| गो |
गाय |
| विश्वरूप |
गीताचे सार – सर्वव्यापी कृष्ण-तत्व |
| चिदानंद |
आत्मा, परम वास्तविकतेचा खरा प्रतिनिधी, सत, चित्, आनंद (शाश्वत, परमानंद, चैतन्य) |
| अद्वितीय |
एकमेव वास्तविकता, दुसर्याशिवाय |
| अकाल |
जो वेळेच्या पलीकडे आहे |
| निर्भय |
निर्भय, त्याच्या भक्तांनाही निर्भय बनवते |
| आत्मलिंग |
आत्मा, परमात्माचे प्रतीक |
| शिव |
शुभ |