दिव्य निर्देश

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दिव्य निर्देश

सही अंतराल में भोजन करना चाहिए। एक निश्चित समय-सारणी का, पालन करते हुए, किसी न किसी कार्य में स्वयं को संलग्न रखने से, भोजन सही तरह से पचता है।

-भगवान बाबा 12 अक्टूबर 1969 प्रशांति निलयम

आजकल की नवीनता, और नव-अध्यात्मवाद, ने प्रारंभिक स्तर के नियम,जैसे स्नान को, या मुँह की सफाई को, महत्व नहीं देना, प्रारम्भ किया है। विनाशकारी आदतों को, प्रोत्साहन और सहन, किया जा रहा है।

हमारा मुख, शरीर रूपी महल का मुख्य द्वार है। यदि द्वार ही गंदा होगा ,तो अंदर के निवासियों का क्या हाल होगा सोचो!

मैले, उलझे, बिखरे, गंदे सिर और शरीर, आपके मैले, उलझे, गन्दे, मन को दर्शाता है।

-भगवान बाबा 16 अक्टूबर 1974 प्रशांति निलयम

राजसिक भोजन भावनाओं को भड़काता है, तामसिक भोजन, आलसी और बोझिल बनाता है। सात्विक भोजन, विचारों में शांति भरता है, और भावनाओं को नही उद्वेलित नहीं करता, और जुनून को भी काबू में रखता है।

हमे भोजन से पहले, प्रार्थना जरूर करना चाहिए। दिव्य संदेश जरूर सुनें।(ऑडियो क्लिप में।)

भोजन करते समय टेलिविजन न देखें। (भगवान ने इस विषय मे जो कहा है, वो नीचे दिए ऑडियो क्लिप में सुनें)

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