इस तरह के खेल बच्चों को अपनी ऊर्जा का सही उपयोग करते हुए, अपने साथियों के साथ उचित सामंजस्य बनाते हुए मेलमिलाप से रहने का अवसर प्रदान करते हैं। इससे एक समग्र व्यक्तित्व के गठन की उपलब्धि होती है और वो आपस में एक दूसरे के साथ के शर्म, झिझक से उभरते हैं। उनमें सुनने की क्षमता, और संवाद की कला को निखारकर स्वयं में सकल मोटर कौशल को बेहतर बनाते हुए समन्वयी निपुणता,लय और चपलता का विकास होता है। साथ ही धैर्य और समझ का भी विकास होता है, इससे उनमें अपनी पारी के इंतज़ार में संयम बना रहता है।
गोलाकार खेलों से आपसी सामंजस्य, मेलमिलाप बढ़ता है। गुरू भी इनके मध्य सही तालमेल का निरीक्षण कर पाते हैं। संगीत के लय पर खेलने से उत्साह दुगना हो जाता है।
इस तरह की खेल गतिविधियाँ एक दूसरे के लिए बंधुत्व को बढ़ावा देती हैं और एकरसता को समाप्त करती हैं।