अपने कार्यों को देखें
उद्देश्य:
यह गतिविधि शब्दों और कर्मों के तालमेल अथवा एकरूपता के महत्व पर जोर देती है। वचन एवं कर्म में विपरीतता से जीवन में भटकाव की संभावना होती है।
संबंधित मूल्य:
- एकाग्रता
- सावधानी
- सजगता
आवश्यक सामग्री:
कोई भी नहीं
खेल की विधि
- गुरू द्वारा यह निर्देशित आदेशों के अनुसार बच्चे अपने हाथों से इशारे या अभिव्यक्ति करें।
- आगे खेल की व्याख्या करते हुए गुरू उदाहरण बताते हैं।
- जब गुरू साईराम कहें तो बच्चों को दोनों हाथों को ऊपर की ओर रखते हुए हथेलियों को ऊपर उठाना है।
- दूसरी ओर, जब गुरू कहते हैं – राधेश्याम – हथेलियाँ बाहर की ओर होनी चाहिए।
- पहले गुरू दोनों नामों को बारी-बारी से दोहराते हैं (उदाहरण: साईराम – राधेश्याम)
- लेकिन धीरे-धीरे गति बढ़ जाती है और वह (गुरू) कह सकती हैं- साईराम, राधेश्याम, राधेश्याम, राधेश्याम, साईराम आदि।
- प्राप्त आदेशों के साथ, बच्चों के हावभाव मेल खा रहे हैं या नहीं, इस बिंदु पर जोर दिया जाना चाहिए।
- इस प्रकार खेल जारी रहता है और जो बच्चे आज्ञा के विपरीत करते हैं उन्हें एक-एक करके खेल से बाहर कर दिया जाता है। जो अंत तक गुरू के कथनानुसार क्रियान्वयन करता है, वह स्वाभाविक रूप से विजेता होता है!
गुरुओं को सुझाव:
कक्षा चर्चा – कक्षा में इस बिंदु पर चर्चा करें कि बच्चों के छोटे भाई-बहन वही करते हैं जो उनके बड़े भाई/बहन करते हैं (जैसा कि खेल से सिद्ध होता है)। इसलिए, अपने छोटों को सलाह देने से पहले उन्हें अपने कार्यों के प्रति सतर्क रहना चाहिए।