स्पर्श की अनुभूति – पत्थर (कठोर)
सीधे बैठें सांँस अंदर लें और बाहर छोड़ें।
मेरे प्यारे बच्चों!
स्पर्श की अनुभूति – पत्थर (कठोर)
सीधे बैठें सांँस अंदर लें और बाहर छोड़ें।
मेरे प्यारे बच्चों!
छुओ इसे। पत्थर को महसूस करो। अब धीरे-धीरे आंँखें बंद कर लो।
आप आराम से अपने घर में बैठे हैं। अचानक आपको पास में किसी मशीन के चलने की आवाज सुनाई देती है। आप अपनी खिड़की से बाहर झांँकते हैं और देखते हैं कि कई लोग तेज धूप में काम कर रहे हैं। सड़क बनाई जा रही है। उत्साह की भावना के साथ आप सड़क पर जाते हैं और देखते हैं कि क्या हो रहा है। पहले सतह के रूप में बड़े पत्थर रखे जाते हैं। एक पत्थर उठाओ। बोध करो। छूने पर बहुत कठोर है।
पत्थरों का उपयोग विभिन्न चीजों के लिए किया जाता है। पत्थर को विभिन्न आकृतियों में काटा जाता है, नक्काशीदार, सुंदर मूर्तियों को बनाने के लिए पॉलिश किया जाता है, तोड़ा जाता है और निर्माण के लिए उपयोग किया जाता है और भी बहुत कुछ उपयोगिता होती है उनकी। यहांँ तक कि सबसे कीमती पत्थर, हीरे को भी हीरा बनाने के लिए तोड़ना, चिकना करना और चमकाने का काम होता है। याद रखें, जब इसे इतनी सारी कठिनाइयों से गुजारा जाता है, तब सुंदर अंतिम उत्पाद सामने आता है।
जैसे पत्थर कठोर होता है, वैसे ही जीवन भी कठिनाइयों से गुजरता है और इन मुश्किलों से गुज़र कर जीवन एक सुंदर आकार में तैयार होता है। जीवन में आपको जो कठिनाइयांँ आती हैं, उन्हें अच्छी तरह से पढ़ाई करके, माता-पिता और समाज की सेवा करके आप दूर कर सकते हैं। जब आप अच्छा व्यवहार करते हैं और बुरी संगति से दूर रहते हैं तो आप चमकते हीरे की तरह बनते हैं।
पत्थर की तरह सख्त और मजबूत बनो, समाज के लिए उपयोगी बनो: “सभी से प्यार करो सबकी सेवा करो”। अब धीरे से अपनी आंँखें खोलें।
[Source : Silence to Sai-lens – A Handbook for Children, Parents and Teachers by Chithra Narayan & Gayeetree Ramchurn Samboo MSK – A Institute of Sathya Sai Education – Mauritius Publications]