नामस्मरण जोर से करना
“भगवान का नाम यदि प्रेम और श्रद्धा से से लिया जाए तो भक्त, ईश्वर की कृपा को सहज ही प्राप्त कर लेता है। नाम में वह सामर्थ्य होता है जो समुद्र लाँघने की क्षमता प्रदान कर सकता है। नाम स्मरण से व्यक्ति में अकल्पनीय बल तथा साहस आता है। जब प्रश्न किया गया कि राम नाम ने हनुमान को समुद्र लाँघने की क्षमता कैसे दी? तब श्री राम ने उत्तर दिया, कि उनका शरीर राम नाम धारण किये है जो शिव और विष्णु के बीजाक्षर से निर्मित हुआ है। इस कारण इस राम नाम की शक्ति बहुत अधिक हो जाती है। रावण का संहार करना इसीलिए सम्भव हो पाया। निरंतर जप द्वारा ईश्वर तथा उनके दैवी गुणों से सहज ही परिचय हो जाता है। अतएव जिव्हा को सदैव पवित्र नाम जपना चाहिए|”
स्रोत: दिव्य सम्भाषण 23 नवंबर 1969
‘ओम् श्री साई राम’ मंत्र के जप की व्याख्या
जप का अर्थ है अपने इष्ट देवता का नाम पूरे प्रेम से बारंबार लेना। जप हमें ध्यान या ध्यान का अभ्यास करने में मदद करता है। जप के प्रभावी होने के लिए, हमें उस जप का अर्थ जानना चाहिए जिसका हम पाठ करते हैं। प्रभु के नाम का जाप करके, हम भगवान को आमंत्रित करते हैं, जैसे हम अपने किसी भी प्रिय को उसके नाम से पूरे प्यार और स्नेह से बुलाते हैं। जप के लिए चुना गया नाम हमारे इष्ट देवता में से कोई भी हो सकता है। उदाहरण के लिए, आइए मंत्र ‘ओम् श्री साईराम’ को लें और इसका अर्थ समझें।
ओम् – ‘ॐ’ का अर्थ है ओंकार अथवा प्रणवाकार (प्रणव+अ-कार)। पूरे विश्व का रूप।
श्री – शब्द का प्रयोग सम्मान या पवित्रता दिखाने के लिए किया जाता है।
साई – स+आई। सा – सर्वश्रेष्ठ, सर्वोच्च। आई – माता।
राम – र+अ+म। र का अर्थ रवि या सूर्य देवता होता है। जब धूप होती है तो अँधेरा नहीं होता। ऐसे ही राम का उच्चारण करने से अज्ञान रूपी अंधकार दूर होता है और ज्ञान का प्रकाश बरसता है।
तो ओम् श्री साई राम का निरंतर जप करने से हमारा सारा अज्ञान उड़ जाता है और ज्ञान का उदय होता है। हमारे विचार, वचन और कर्म शुद्ध हो जाते हैं और हमें स्वतः ही मानसिक शांति मिलती है जो हमें सुखद, आनंदमय एवं शांतिपूर्ण जीवन जीने में मदद करती है।
– स्रोत: श्री सत्य साई बालविकास गुरू हैंड बुक ग्रुप, प्रथम वर्ष।