स्वामी के निकट अथवा दूर
- सर्वप्रथम बच्चों को, हाथ से किये जाने वाले कार्यों की सूची बनाने को कहें।
- उन कार्यों की सूची में विभाजनस्वरुप, दो सूची हों – “अच्छे” व “बुरे” कार्य।
- हर कार्य का नाम व चित्रण कागज के छोटे पर्चे पर लिखकर, उन कागज के पर्चियों की चिट बना लें।
- सभी पर्चियों को एक बक्से में डाले व हिलाएँ। बक्से में से हर बच्चे को एक पर्ची निकालने को कहें। पर्ची पर लिखे कार्य को हर बच्चा पढ़े और अगर कार्य अच्छा हो तो बच्चा उस कमरे में भगवान बाबा (स्वामी) के चित्र के समक्ष जा खड़े हो। अगर पर्ची में बुरे कार्य का उल्लेख हो तो बच्चा कमरे के दूसरे कोने में (अर्थात स्वामी के चित्र से दूर ) जा खड़े हो । भगवान के चित्र से दूर बच्चों को एक एक करके और भी पर्ची दें, ताकि उन्हें अच्छे कार्य की चिट मिले और वे स्वामी के चित्र के समक्ष पहुँचे ।
अच्छे कर्म | बुरे कार्य |
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लिखित जप | दीवारों पर अनावश्यक शब्दों को लिखना |
दूसरों के संग साझेदारी | दूसरों की चीजों को उन्हें बिना बताये छीनना |
दूसरों को प्रोत्साहन स्वरूप ताली बजाना | किसी के गिरने व उसे चोट पहुँचने पर हँसना व मजाक उड़ाना |
दूसरों की मदद करना | दूसरों को चोट पहुँचाना |
पाठशाला में या बालविकास कक्षा में नोट लिखना | परीक्षा में नक़ल करना |
माँ की मदद करना | भोजन का अपव्यय करना। |
पौधों को पानी सींचना | पौधों से अनावश्यक फूल एवं पत्ते तोड़ना। |
मूल्य की सीख:
सदैव अच्छा कर्म करें ।
हमारे अच्छे कर्म हमें ईश्वर के पास ले चलेंगे |
अपने हाथों का सकारात्मक उपयोग करें व दूसरों की सहायता/मदद करें |