गणपति
“भगवान श्री सत्य साई बाबा के उद्बोधन से”
भगवान गणेश जी के हाथी के सिर का गूढ़ अर्थ क्या है?
- हाथी अपनी तीव्र बुद्धि के लिए विख्यात है। गणेशजी का हाथी का सिर, प्रखर बुद्धि एवं विवेक की सर्वोच्च शक्ति का प्रतीक है। अपनी बुद्धि की पवित्रता के कारण विनायक को बुद्धि का दाता भी कहा जाता है। वे भक्तों की प्रार्थनाओं का उत्तर देते हैं और इसीलिए उन्हें सिद्धि विनायक (वह विनायक इच्छित वस्तु प्रदान करते हैं) के रूप में जाना जाता है।
- जब एक हाथी वन में घूमता है, तो वह दूसरों के लिए मार्ग स्वच्छ कर देता है। इसी तरह गणेशजी का आह्वान करने से हमारे कार्यों का मार्ग साफ तथा सरल हो जाता है। हाथी का पैर इतना बड़ा होता है कि जब वह चलता है तो किसी भी अन्य जानवर के पैरों के निशान बना सकता है। यहांँ पुनः, प्रतीकात्मक अर्थ यह है कि जब गणेशजी को सम्मानजनक स्थान दिया जाएगा तो रास्ते की सभी बाधाएंँ दूर हो जाएंँगी। गणेश जी की कृपा से जीवन की यात्रा सुगम और सुखमय हो जाती है।
- विघ्नेश्वर को हाथी की बुद्धि से संपन्न भी माना जाता है। हाथी अपनी सर्वोच्च बुद्धिमत्ता के लिए विख्यात है। यह अपने स्वामी के प्रति पूर्ण निष्ठा के लिए भी जाना जाता है। इसका प्रत्यक्ष प्रमाण साईं गीता (भगवान के पास की हाथिनी) है। आमतौर पर सड़क पर सैकड़ों कारें गुजरती होंगी। साईगीता उन पर कोई ध्यान नहीं देगी। लेकिन जब स्वामी की कार उस रास्ते से गुजरेगी, तो उसे सहज ही इसका आभास हो जाएगा, वह अपनी परिचित आवाज में पुकारते हुए सड़क की ओर दौड़ पड़ेगी। स्वामी से कैसा प्रेम! अगर आस्था को हाथी से जोड़कर देखा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी।
- जब एक हाथी झाड़ियों के बीच चलता है, तो उसका रास्ता सभी जानवरों के लिए एक नियमित मार्ग में बदल जाता है। इस प्रकार यह सभी जानवरों के लिए एक गति-निर्धारक है।
मूषक- भगवान गणेश का वाहन
- मूषक गणेश जी का वाहन है। यह एक चतुर और जीवंत प्राणी है। इसका प्रतीकात्मक अर्थ यह है कि हमें अपने कार्यों में चतुर और मेहनती होना चाहिए। चूहा रात के अंधेरे का भी प्रतीक है। चूहा अंधकार में भी अच्छी तरह देख सकता है। विनायक के वाहन के रूप में चूहा एक ऐसे तथ्य का प्रतीक है जो मनुष्य को अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाता है। इस प्रकार विनायक सिद्धांत का अर्थ है जो मनुष्यों के सभी दुर्गुणों, कुप्रथाओं और बुरे विचारों को दूर करता है और सद्गुणों, अच्छे आचरण और सद्विचारों को विकसित करता है।
- बुद्धिमत्ता पूर्ण विवेक के बिना, किसी भी कौशल/प्रतिभा अथवा शक्ति का लाभकारी उपयोग नहीं किया जा सकता। उदाहरण के लिए, व्यक्ति को यह ज्ञात होना चाहिए कि आग या विद्युत प्रवाह का उपयोग कैसे किया जाना चाहिए और हम अपनी आवश्यकताओं के लिए एक उपकरण के रूप में इससे किस हद तक लाभ ले सकते हैं। मनुष्य की इन्द्रियाँ भी अग्नि के समान हैं; उन्हें निरंतर निगरानी और नियंत्रण में रखकर उपयोग में लाना होगा।
- कोई भी पूजा तब तक सफल नहीं हो सकती जब तक हृदय शुद्ध न हो और इंद्रियों पर नियंत्रण न हो। भगवान गणेश बाधाओं को दूर करने में मदद करते हैं; लेकिन, यदि अच्छे प्रयास बुरे विचारों से बाधित होंगे तो वे बाधा उत्पन्न करेंगे। वे सच्चे साधक के लिए ही मार्ग सुगम करते हैं। जब आप सुफल के लिए उससे प्रार्थना करते हैं तो वह प्रसन्नवदनम (उज्ज्वल चेहरे वाला), लाभकारी रूप वाला होता है; लेकिन, जब आप किसी अपवित्र अथवा कुटिल उद्देश्य हेतु उनकी मदद मांगेंगे तो वह वैसा नहीं होगा। वह प्रणव-स्वरूप है, साक्षात ओंकार स्वरूप; अतः वह स्वयं शुभ है।
- विनायक सभी देवताओं के नेता हैं। विनायक में आस्था को सभी देवताओं के लिए आदर्श के रूप में विकसित किया जाना चाहिए और उन्हें दिव्यता के अवतार के रूप में पूजा जाना चाहिए।