बौद्ध धर्म-मुख्य शिक्षाएँ: अष्टांग मार्ग
- सम्यक दृष्टि: जीवन को बुद्ध की दृष्टि से देखना सही है, ज्ञान और करुणा की दृष्टि से।
- सम्यक संकल्प: जैसी सोच वैसे ही हम बनते हैं, सरल और करुणापूर्ण विचार, शक्तिशाली चरित्र का निर्माण करते हैं।
- सम्यक वाणी: कोमल और उपयोगी भाषा का सदैव सम्मान और विश्वास किया जाता है।
- सम्यक आचरण: हमारा सही आँकलन हमारे व्यवहार से परिलक्षित होता है। दूसरों में गलतियाँ ढूँढने से पहले स्वयं का निरीक्षण करो।
- सम्यक व्यवसाय: ऐसे व्यवसाय को अपनाओ, जो दूसरों को कष्ट न दे। बुद्ध कहते हैं “दूसरों का अहित करके धन उपार्जन नहीं करो और अन्य को कष्ट देकर खुशियाँ मत तलाशो”।
- सम्यक प्रयास: एक खुशहाल जीवन का अर्थ है हर वक्त बेहतर करो, मन में दूसरों की भलाई को ध्यान में रखते हुए। स्वयं को और दूसरों को कष्ट कभी न पहुँचाओ।
- सम्यक मनोवृत्ति: अपने विचार, वाणी, और कर्म पर ध्यान दो।
- सम्यक ध्यान: किसी एक विचार या विषय वस्तु पर, एक समय पर ध्यान केंद्रित करो। तभी मानसिक शांति की अनुभूति होगी।
निर्वाण के लिए अष्टांग मार्ग को एक उपवन को बनाने जैसा समझना होगा, परन्तु बौद्ध धर्म में इसे, बुद्धि को उपजाना कहते हैं। मन ज़मीन है, विचार बीज, कर्म जमीन की देखरेख। हमारी गलतियाँ, खरपतवार। इन खरपतवार को निकालना होगा, तभी अच्छे किस्म की फसल जो शाश्वत सुख दे हमको प्राप्त होगी।