ईसाई धर्म – प्रमुख शिक्षाएँ
- अपने दुश्मनों से भी प्रेम करो।
- जो आपसे घृणा करते हैं, उनके लिए भी अच्छा करो।
- उनको भी आशीर्वाद दो जो आपको बद्दुआ देते हों।
- कोई एक गाल पर मारे तो दूसरा भी आगे कर दो।
- देने के प्रत्युत्तर में कुछ पाने की अपेक्षा मत करो।
- जैसे परमपिता स्वर्ग में करुणापूर्ण हैं वैसे ही स्वयं बनो।
- किसी के प्रति वो कार्य न करो, जो तुम स्वयं के लिए नहीं चाहते हो।
- स्वयं को सुधारो दूसरों को नहीं।
- दूसरों के लिए न्याय का कार्य ईश्वर पर छोड़ दो।
- दूसरों को माफ करो, ईश्वर आपको माफ करेंगे।
- जिस काम की अपेक्षा अन्य से नहीं करते वो कार्य स्वयं मत करो।
- एक दूसरे से वैसा ही प्यार करो जैसा ईश्वर तुमसे करते हैं।
- क्षमा करो।
- भूले भटके बच्चे, का अपने पिता के घर सदैव स्वागत रहता है।
- ईश्वर प्रेम है, उनकी तरफ हमेशा प्रेमातुर रहो, यही आपके मध्य ईश्वरीय उपस्थिति जीवन भर परिलक्षित करती रहेगी।
- स्वर्ग का राज्य, आपके ही अंदर विराजमान है, उसको सर्वप्रथम स्वयं में तलाशो फिर स्वतः सब जुड़ता जाएगा।