सनातन धर्म – मुख्य शिक्षाएँ
- ईश्वर सभी में आत्मा (दिव्यात्मा स्वरूप) के रूप में मौजूद है।
- इसलिए वही आत्मा सभी प्राणियों को ईश्वर (ब्रह्म) से जोड़ती है।
- ईश्वर हर चीज में और हर जगह मौजूद है।
- सुख और दुख हमारी अपनी निर्मिती हैं और हमारे द्वारा किए गए कर्म या क्रिया पर आधारित हैं (कर्म का नियम)।
- मनुष्य का बार-बार पुनर्जन्म तब तक होता है जब तक वह अंत में मोक्ष प्राप्त नहीं कर लेता।
- ईश्वर पृथ्वी पर बार-बार अवतरित होते हैं, ताकि धर्म को पुनर्स्थापित किया जा सके और मानव जाति को धर्म के मार्ग पर ले जाया जा सके (अवतार की अवधारणा)।
- सभी रास्ते ईश्वर की ओर ले जाते हैं।
- ईश्वर की प्राप्ति मानव जीवन का लक्ष्य है (चार पुरुषार्थ – धर्म अर्थ काम और मोक्ष)।
- धर्म हमें इस लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद करता है।
भगवान की दिव्य वाणी में गायत्री मंत्र जप का महत्व
17 मार्च 1983 को दिए गए प्रवचन के अंश