देवी पार्वती का मातृ प्रेम
अपने भक्तों के लिए माता पार्वती के हृदय में सदैव ही मातृवत् वात्सल्य स्नेह रहता है। वह शुभता की प्रतीक हैं, और अपने भक्तों को उनके भ्रम दूर करके उनकी रक्षा का सर्वदा आशीर्वाद देती हैं।
एक बार नरेंद्रनाथ नाम का एक ब्राह्मण बालक यमुना नदी में स्नान कर रहा था। तभी अचानक एक मगरमच्छ आया और उसने लड़के को पकड़ लिया। बालक देवी पार्वती को पुकारने लगा। वह इतने आर्त्त स्वर में रोया कि कैलाश पर्वत पर देवी विव्हल हो उठीं।
माता दौड़कर मौके पर पहुँचीं, और उन्होंने लड़के को बचाने के लिए अपनी सारी शक्ति, ज्ञान और शुभता उस पर बरसाई।
उनकी शक्ति इतनी अधिक थी कि बालक तेज से चमका उठा। इस तेज को मगरमच्छ सहन नहीं कर सका। मगरमच्छ ने नरेंद्रनाथ को छोड़ दिया और यमुना में गायब हो गया।
हम सब भी संसार के भवसागर मे तैरने की कोशिश करते हुए सांसारिक प्राणी हैं, भ्रम के मगरमच्छ द्वारा पकड़े गए नरेंद्रनाथ की तरह। यदि हम देवी पार्वती से प्रार्थना करें जो शुभता, दया और आनंद से भरपूर हैं, तो वह हमें ऐसी शक्ति प्रदान करती हैं जो हमें भ्रम से बचने और मुक्ति पाने में मदद करती है।
[Illustrations by Selvi. Sainee, Sri Sathya Sai Balvikas Student]
[Source: Sri Sathya Sai Balvikas Guru Handbook Group I ]