मेरी प्रार्थना
- गुरू श्लोक को पूर्ण अर्थ के साथ समझायें।
- गुरू, श्लोक के भावार्थ से प्रमुख शब्द लेकर बोर्ड पर लिखें। उदाहरण के लिए उमा, देवगुरु, सर्प से विभूषित भगवान जिनके तीन नेत्र सूर्य, चंँद्रमा और अग्नि हैं, आदि।
- फिर एक बच्चे से भगवान शिव की भूमिका निभाने के लिए कहें (गुरू, भगवान शिव के रूप में एक बच्चे को तैयार करने के लिए चुन सकते हैं) या भगवान शिव की तस्वीर कक्षा में रखें
- अन्य बच्चे व्यक्तिगत रूप से या कक्षा की उपस्थिति के आधार पर दो समूहों में बोर्ड पर दिए गए अधिकांश या सभी महत्वपूर्ण शब्दों को शामिल करते हुए अपनी प्रार्थना लिख सकते हैं। जैसे उदाहरण के लिए- “मैं सभी जीवों के स्वामी उमापति, देवगुरु, सर्प से सज्जित भगवान को नमन करता हूंँ। हे भगवान मुझे आनंद प्रदान करें।”
- अंत में बच्चों को उनकी संबंधित प्रार्थनाएँ सीखकर, व्यक्तिगत अथवा सामूहिक रूप से भगवान शिव को पुष्प अर्पित करते हुए भक्तिपूर्वक बोलने के लिए कहा जाये।
अभ्यास कार्य
यह भगवान शिव के प्रति भक्ति भाव निर्माण करने एवं दैवी मूल्यों को समझने के लिए एक रोचक अभ्यास है। चूंँकि यह गतिविधि प्रथम समूह तृतीय वर्ष के बच्चों के लिए है, इसलिए इसे विभिन्न टीमों को अंक देकर थोड़ा चुनौतीपूर्ण बनाया जा सकता है कि वे अपनी प्रार्थना का कितना अच्छा जप करते हैं और मूल प्रार्थना से कितने महत्वपूर्ण शब्द उन्होंने अपने संस्करण में शामिल किए हैं।
इस अभ्यास के बाद सभी बच्चों को कक्षा में एक साथ इस प्रार्थना और अर्थ का जप करना चाहिए।