- शीतल चरणम् कोमल चरणम्
- मंजुल चरणम् मम गुरू चरणम्
- मृदुल चरणम् अनुग्रह चरणम्
- सद्गुरु चरणम् सदा स्मरामि।
- प्रेम दाता साई गुरु नाथा
- पावन चरणम् सदा भजामि।।
शीतल चरणम्
भजन
अर्थ
मेरे गुरू के श्रीचरण अत्यंत शीतल तथा कोमल हैं। वे मृदुल तथा अनुग्रह से परिपूर्ण हैं। आइए हम सभी उन चरणों का ध्यान कर प्रार्थना करें जो हमेशा प्यार और कृपा बरसाते हैं।
व्याख्या
शीतल चरणम् कोमल चरणम् मंजुल चरणम् मम गुरू चरणम् | मेरे परम गुरू के शीतल, कोमल और मनोहर चरणकमलों में कोटि-कोटि प्रणाम। |
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मृदुल चरणम् अनुग्रह चरणम् | हमारा प्रणाम है, उन नाजुक कोमल प्रभु के श्रीचरणों में जो हमें अनुग्रह से कृतार्थ करते हैं । |
सद्गुरू चरणम् सदा स्मरामि | सद्गुरु के चरण कमलों का सदैव स्मरण करते हुए हमारा शत शत नमन जो हमारे सर्वोच्च उपदेशक हैं। |
प्रेम दाता साई गुरू नाथा | प्रभु साई! परम गुरू एवं अटूट ईश्वरीय प्रेम के प्रदाता। |
पावन चरणम् सदा भजामी | भगवान के उन परम पवित्र चरणों की महिमा का मैं सदैव गान करता हूँ। |
राग: यमन या कल्याणी
श्रुति: सी # (मध्यम)
बीट (ताल): कहरवा या आदि तालम – 8 बीट
भारतीय संकेतन
Adopted from : https://archive.sssmediacentre.org/journals/vol_11/01JUL13/bhajan_tutor-sheetala_charanam.htm