पंच महायज्ञ
उद्देश्य:
बालविकास बच्चों को प्रत्येक गृहस्थ द्वारा किए जाने वाले पंच महायज्ञों को याद करने में सक्षम बनाना।
संबंधित मूल्य:
- हमारी परंपराओं को महत्व देना
- जिज्ञासु प्रवृत्ति को प्रोत्साहन देना
- विवेक पूर्ण अंतर करना
- सही आचरण ।
आवश्यक सामग्री:
- 12 पर्चियाँ जिन पर यज्ञ का नाम अंकित हो जैसा कि अंत में सूची में दिया गया है। (अर्थात् देव यज्ञ, ऋषि यज्ञ, अतिथि यज्ञ, पितृ यज्ञ, भूत यज्ञ)।
- पर्चियों के लिए एक कटोरा।
कैसे खेलें:
- बच्चे एक घेरे में बैठे हैं।
- गुरू एक बच्चे को पर्चियों वाला कटोरा सौंपते हैं।
- पृष्ठभूमि में भजन बजने के साथ, गतिविधि जारी रहती है- कटोरा एक-दूसरे को देना।
- जब भजन बंद हो जाता है तो कटोरा पकड़ने वाला बच्चा उसमें से एक पर्ची उठाता है और उसे जोर-जोर से पढ़ता है और पहचानता है कि वह गतिविधि किस यज्ञ से संबंधित है। (उदा. रामायण पढ़ना – उत्तर – देव यज्ञ।)
- पार्सल पास करने की गतिविधि इसी प्रकार तब तक जारी रहती है जब तक कि सभी 12 पर्चियांँ समाप्त नहीं हो जातीं।
- लिखित जप एक पृष्ठ प्रतिदिन। (देव यज्ञ)।
- पालतू जानवरों की उचित देखभाल करना (भूत यज्ञ)।
- अपने शापित पूर्वजों को मुक्ति दिलाने के लिए भगीरथ की तपस्या। (पितृ यज्ञ)।
- वेदों का जप करना। (ऋषि यज्ञ)।
- पक्षियों के लिए पानी के कटोरे रखना। (भूत यज्ञ)।
- प्रतिदिन सुप्रभातम् का पाठ करें। (देव यज्ञ)।
- सेवा स्टालों पर शीतल पेय पिलाना (अतिथि यज्ञ)।
- वार्षिक श्राद्ध समारोह के दौरान दिवंगत पूर्वजों को श्रद्धा सुमन अर्पित करना। (पितृ यज्ञ)
- अतिथियों को भोजन कराने के बाद ही भोजन ग्रहण करना प्राचीन काल की प्रथा थी। (अतिथि यज्ञ)।
- कौवे और गाय को भोजन खिलाना। (भूत यज्ञ)।
- उपनिषदों की कहानियाँ सुनना। (ऋषि यज्ञ)।
- प्रतिदिन भगवत गीता से एक श्लोक सीखना। (देव यज्ञ)।