बुद्ध महावीर येशु साई
भजन
- बुद्ध महावीर येशु साई
- वाहे गुरू वाहे गुरू बोल मनवा
- अल्लाह येशु सद्गुरु साई
- गीता वेद कुरान हो साई
- तन में साई, मन में साई
- रोम रोम में साई साई
- वाहे गुरू वाहे गुरू बोल मनवा।।
अर्थ
रे मन! वाहे गुरू वाहे गुरू जपो। बुद्ध, महावीर, येशु और सद्गुरु साई नाम का जप करो। जो गीता, कुरान और बाइबिल शास्त्रों का सार हैं। हे साई! आप शरीर के साथ-साथ मन के भी निवासी हैं। शरीर के रोम-रोम में आप बसे हुए हैं।
व्याख्या
बुद्ध महावीर येशु साई | हे सार्वभौमिक भगवान! हम बुद्ध, महावीर, येशु और साई जैसे विभिन्न नामों से आपकी जय-जयकार करते हैं। |
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वाहे गुरू वाहे गुरू बोल मनवा | आइए हम निराकार और निर्गुण भगवान के नाम का जप करें जो हम में से प्रत्येक के भीतर परम गुरू के रूप में निवास करते हैं। |
अल्लाह येशु सद्गुरु साई | हे साई, आप परम गुरू हैं, आप अल्लाह एवं येशु सदृश्य हैं। |
गीता वेद कुरान हो साई | हे भगवान साई! आप सभी शास्त्रों का सार हैं, चाहे वह भगवद गीता हो, वेद हो, या कुरान हो। |
तन में साई, मन में साई | हे भगवान साई! आप हमारे अस्तित्व की हर कोशिका में व्याप्त हैं, आप हमारे मन के हर कण को ऊर्जावान बनाते हैं। |
रोम रोम मे साई साई | हे साई! आप मेरे शरीर के रोम रोम में, मेरे अस्तित्व के हर कण में गूंज रहे हैं। |
वाहे गुरू वाहे गुरू बोल मनवा | आइए हम निराकार और निर्गुण भगवान के नाम का जप करें, जो हम में से प्रत्येक के भीतर परम गुरू के रूप में निवास करते हैं। |
राग: हरि कंबोजी के स्पर्श से शंकरा भरणं
श्रुति: सी# (पंचम)
बीट (ताल): कहरवा या आदि तालम – 8 बीट
भारतीय संकेतन
पश्चिमी संकेतन
Adopted from : https://archive.sssmediacentre.org/journals/vol_12/01OCT14/Buddha-Mahaveer-Yeshu-Sai.htm